बचपन की बीमारियां और उनके टीके

नन्हा शिशु पिता की बाजू पर लेटा हुआ
Monica Olvera for BabyCenter
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टीकाकरण सारणी
Hand with pen circling date in calendarजानें कि आपके बच्चे को कौन सा टीका कब लगना चाहिए!
माता-पिता होने के नाते आपको जानकारी होना जरुरी है कि आपके शिशु को किस चरण पर कौन सा टीका लगेगा। हर टीका शिशु को विभिन्न बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है। जहां कुछ टीके लगवाना अनिवार्य है, वहीं कुछ वैकल्पिक भी हैं। इनके बारे में आगे विस्तार से पढ़ें।

अनिवार्य टीके किन बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं?

भारत सरकार और भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी (आईएपी) शिशु को कुछ टीके अनिवार्य रूप से लगवाने की सलाह देते हैं।

यहां नीचे बताया गया है कि ये टीके कौन से हैं और बच्चे को किस बीमारी से सुरक्षा प्रदान करते हैं:
  • बीसीजी टीका - तपेदिक (टीबी) के लिए
  • डीटीपी टीका- डिप्थीरिया, टेटनस, पर्टुसिस (काली खांसी) के लिए
  • हेपेटाइटिस ए टीका - हैपेटाइटिस ए के लिए
  • हेपेटाइटिस बी टीका - हैपेटाइटिस बी के लिए
  • एचआईबी टीका - हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी के लिए
  • एमएमआर - खसरा (मीजल्स), मम्प्स (कंठमाला का रोग), रुबेला (जर्मन खसरा) के लिए
  • ओपीवी (पोलियो की ओरल ड्रॉप्स) और आईपीवी (पोलियो का इंजेक्शन) - पोलियो के लिए
  • रोटावायरस टीका - रोटावायरस के लिए
  • टाइफाइड संयुग्म (कॉन्जुगेट) टीका - मोतीझरा (टाइफाइड) के लिए

तपेदिक (टीबी)
तपेदिक (टीबी) एक जीवाणुजनित बीमारी है, जो आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करती है। यह रोग सक्रिय टीबी से ग्रस्त व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलती है। सक्रिय टीबी से ग्रस्त व्यक्तियों को खांसी के दौरे, कभी-कभार खांसी में बलगम या खून आना, छाती में दर्द, कमजोरी, वजन घटना, बुखार और रात में पसीना आदि लक्षण होते हैं। बीसीजी के टीके के जरिये आपके शिशु को टीबी के खिलाफ प्रतिरक्षित किया जा सकता है।

ध्यान रखें कि बीसीजी का टीका आपके शिशु को टीबी से पूरी तरह सुरक्षित नहीं करता। यदि आपके घर में अन्य लोगों को संक्रामक टीबी है, तो टीकाकरण होने के बावजूद भी शिशु बीमार पड़ सकता है। हालांकि, यदि शिशु को टीबी हो तो बीसीजी का टीका इस इनफेक्शन को शरीर के केवल एक हिस्से या अंग तक ही सीमित रखने में मदद करता है।

हेपेटाइटिस बी
हेपेटाइटिस यकृत (लीवर) का इनफेक्शन है, जो कि हेपेटाइटिस वायरस की वजह से होता है। यह जीवन में आगे यकृत का गंभीर रोग बन सकता है। यह संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलता है। हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस विषाणु का केवल एक प्रकार है, जो कि जन्म के समय संक्रमित खून के जरिये माँ से शिशु तक पहुंच सकता है। संभव है कि किसी व्यक्ति के रक्त में यह वायरस हो और उसे इस बारे में जानकारी न हो। हेपेटाइटिस बी का टीका शिशु को इस इनफेक्शन से सुरक्षा प्रदान करेगा।

पोलियो
पोलियो को वायरस मस्तिष्क और मेरुदंड की नसों के उत्तकों पर हमला करता है, और लकवे का कारण बन सकता है। यह संक्रमित व्यक्ति के मल, बलगम या थूक के संपर्क में आने से फैलता है। आपके बच्चे को पोलियो की ओरल ड्रॉप्स (ओपीवी) और पोलियो का इंजेक्शन (आइपीवी) दोनों संयुक्त रूप से दिए जा सकते हैं, इसलिए इस बारे में अधिक जानकारी के लिए अपनी डॉक्टर से बात करें।

डिप्थीरिया
डिप्थीरिया एक जीवाण्विक संक्रमण है, जो छाती और गले को प्रभावित करता है। यह डिप्थीरिया से संक्रमित व्यक्ति के खासंने या छींकने से फैलता है। इसके लक्षणों में गले में स्लेटी-सफेद सी मोटी परत, तेज बुखार, गले में दर्द और सांस लेने में तकलीफ शामिल हैं। डिप्थीरिया के गंभीर मामलों में यह दिल और तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है, यहां तक कि यह जानलेवा भी हो सकता है। ​डीटीपी का टीका आपके बच्चे को डिप्थीरिया से सुरक्षा प्रदान करता है।

काली खांसी (पर्टुसिस)
यह अत्याधिक संक्रामक रोग है। यह खांसने और छींकने से फैलता है। इसकी शुरुआत सर्दी-जुकाम से होती है, मगर जल्द ही खांसी का दौरा और ज्यादा गंभीर होता जाता है। काली खांसी में खांसते वक्त तेज आवाज आती है। यह कई हफ्तों तक जारी रह सकती है।

शिशुओं और छोटे बच्चों में काली खांसी की वजह से स्वास्थ्य जटिलताएं जैसे कि निमोनिया, उल्टी, निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन), वजन घटना आदि होने का खतरा रहता है। कई दुर्लभ मामलों में इसकी वजह से मस्तिष्क की क्षति और यहां तक की मौत भी हो सकती है। डीटीपी के टीके से आपका शिशु काली खांसी के प्रति प्रतिरक्षित रहेगा।

टेटनस

कभी-कभी लॉकजा भी कहा जाने वाला टेटनस रोग मांसपेशियों में दर्दभरी ऐंठन और अकड़न पैदा कर सकता है। उपचार न करवाए जाने पर यह यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। टेटनस का बैक्टीरिया मिट्टी और पशुओं की खाद में पाया जाता है। यह शरीर में चोट या घाव के जरिये प्रवेश कर सकता है। टेटनस का जीवाणु पशु के काटने, नाक-कान आदि छिदवाने और टैटू बनवाने से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। डीटीपी का टीका टेटनस के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।

हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी (एचआईबी)
यह एक जीवाणुजनित संक्रमण है, जो कि संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है। यह गले, छाती और कान को प्रभावित करता है। इसकी वजह से और अधिक गंभीर इनफेक्शन जैसे मेनिंजाइटिस और निमोनिया या गले में अवरोध होना (एपिग्लोटाइटिस) हो सकता है। एचआईबी का टीका बच्चे को हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइब बी के प्रति सुरक्षा प्रदान करता है।

रोटावायरस
रोटावायरस एक अत्याधिक संक्रामक विषाणु है, जो कि शिशुओं में पेट के इनफेक्शन का सबसे आम कारण होता है। इसके दो सबसे आम लक्षणों में शामिल हैं दस्त (डायरिया) और उल्टी। रोटावायरस की वजह से आंत का गंभीर इनफेक्शन और डिहाइड्रेशन हो सकता है। रोटावायरस टीके से बच्चे को इससे सुरक्षित किया जा सकता है।

मोतीझरा (टाइफाइड)

मोतीझरा एक जीवाण्विक रोग है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के मल या पेशाब के कारण दूषित भोजन या पेय पदार्थ के सेवन से फैलता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, बेचैनी, सिरदर्द, कब्ज या दस्त, छाती पर गुलाबी रंग के निशान और तिल्ली या प्लीहा (स्पलीन) और यकृत का बढ़ना शामिल है। टाइफाइड कॉन्जुगेट वैक्सीन (टीसीवी) लगवाकर शिशु को टाइफाइड से सुरक्षित किया जा सकता है।

खसरा (मीजल्स)
यह अत्याधिक संक्रामक रोग है, और यह संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से फैलता है। यह तेज जुकाम के साथ शुरु होता है और तीन से चार दिन बाद चकत्ते दिखाई देना शुरु हो जाते हैं। खसरे की वजह से बच्चे को कान का इनफेक्शन, डायरिया, निमोनिया हो सकता है और दौरे भी पड़ सकते हैं। दुर्लभ मामलों में इसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन व जलन (इंसेफेलाइटिस) भी हो सकती है। एमएमआर का टीका बच्चे को खसरे के खतरे से सुर​क्षा प्रदान करता है।

कंठमाला का रोग (मम्प्स)
यह ​एक विषाणुजनित ​बीमारी है, जिसकी वजह से चेहरे के दोनों तरफ कान के नीचे सूजन होती है। इसके लक्षणों में बुखार, जोड़ों में दर्द, सिरदर्द और थकान शामिल है। इसके कारण मेनिंजाइटिस, पेन्क्रियाटाइटिस और वृषणों या अंडाशयों में सूजन व जलन जैसी स्वास्थ्य जटिलताएं भी हो सकती हैं। एमएमआर का टीका आपके बच्चे को मम्प्स के प्रति सुरक्षित करेगा।

रुबेला
रुबेला (जर्मन मीजल्स) विषाणुओं की वजह से होने वाली बीमारी है, जो आमतौर पर ज्यादा गंभीर नहीं होती। इसकी वजह से बुखार, चकत्ते और ग्रंथियों में सूजन होती है। यदि आपको अपनी गर्भावस्था के शुरुआती 10 हफ्तों में रुबेला हो जाता है तो इसके गर्भस्थ शिशु तक पहुंचने का खतरा बहुत ज्यादा होता है। इसे अंग्रेजी में कंजेनाइ​टल रुबेला सिंड्रोम (सीआरएस) कहा जाता है। यदि आपको गर्भावस्था के 11 से 16 हफ्तों के बीच रुबेला होता है तो आपके जरिये शिशु तक रुबेला पहुंचने का खतरा 10 से 20 प्रतिशत तक कम होता है। सीआरएस की वजह से शिशु का जन्म बहरेपन, अंधेपन, हृदय से जुड़ी समस्याएं या मस्तिष्क क्षति के साथ होने का खतरा रहता है। एमएमआर का टीका बच्चे को रुबेला से सुरक्षित करता है। ।

हेपेटाइटिस ए
यह एक विषाणुजनित रोग है, जो यकृत को प्रभावित करता है। हेपेटाइटिस वायरस मल में पाया जाता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में आसानी से फैलता है। उदाहरण के तौर पर, यदि आपका शिशु संक्रमित व्यक्ति के मल से दूषित कोई चीज छूने के बाद अपना हाथ मुंह में डाल ले तो उसे हेपेटाइटिस ए हो सकता है। हेपेटाइटिस ए वहां फैलता है, जहां स्वच्छता का उचित प्रबंध न हो। यह दूषित भोजन या पानी से भी फैल सकता है।

कुछ लोगों में इसके कोई लक्षण सामने नहीं आते, वहीं कुछ को फ्लू के हल्के लक्षण जैसे महसूस हो सकते हैं। यह रोग विशेषकर शिशुओं और छोटे बच्चों में ज्यादा आम है। हेप ए का टीका शिशु को इससे सुरक्षित करता है।

वैकल्पिक टीके कौन सी बीमारियों के खिलाफ प्रतिरक्षित करते हैं?

वैकल्पिक टीकों और जिन बीमारियों या विषाणुओं से ये आपके बच्चे को प्रतिरक्षित करते हैं, उनके बारे में नीचे बताया गया है:
  • पीसीवी (न्यूमोकोकल कॉन्जुगेट वैक्सीन) - न्यूमोकोकस के लिए
  • चिकनपॉक्स (वेरीसेला) टीका - छोटी माता (चिकनपॉक्स) के लिए
  • इन्फ्लुएंजा टीका - फ्लू के लिए
  • एमसीवी (मेनिन्जोकोकल मेनिंजाइटिस टीका) -  मेनिंजोकोकस के लिए
जेई (जापानी इंसेफेलाइटिस) और हैजा (कॉलरा) का टीका उन क्षेत्रों में लगवाने की सलाह दी जाती हैं, जहां इनका खतरा बहुत ज्यादा हो या फिर आपको ऐसे क्षेत्रों में यात्रा पर जाना हो।

न्यूमोकोकस
न्यूमोकोकल बैक्टीरिया की वजह से निमोनिया, मेनिंजाइटिस और रक्त विषाक्तता (सेप्टिसीमिया) जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। न्यूमोकोकल बैक्टीरिया जीवाणुजनित मेनिंजाइटिस होने के सबसे आम कारणों में से एक है। वायरल मेनिंजाइटिस की तुलना में बैक्टीरियल मेनिंजाइटिस अधिक खतरनाक है और यह जानलेवा भी हो सकता है। जो बच्चे इस बीमारी के बावजूद जीवित बच जाते हैं, उनमें बहरापन, अंधापन, याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं और दौरे भी पड़ सकते हैं। पीसीवी टीके के जरिये शिशु को न्यूमोकोकस से सुरक्षित किया जा सकता है।

इन्फ्लुएंजा टाइप ए
 फ्लू संक्रामक विषाणु की वजह से होता है, इसलिए इसका उपचार एंटिबायोटिक दवाओं से नहीं किया जा सकता। इसके लक्षण सर्दी-जुकाम जैसे ही होते हैं, मगर इसमें बुखार, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, सूखी खांसी, नाक बहना, उल्टी और दस्त भी हो सकते हैं। एच1एन1 (स्वाइन फ्लू) भी इन्फ्लुएंजा टाइप ए विषाणु के एक प्रकार की वजह से फैलता है। फ्लू का टीका शिशु को इसके प्रति सुरक्षित करता है।

मेनिंजोकोकल मेनिंजाइटिस
मेनिंजोकोकल जीवाणु की वजह से मेनिंजाइटिस और सेप्टिसीमिया (एक प्रकार की रक्त विषाक्तता) रोग पैदा होते हैं। इस बैक्टीरिया के कई प्रकार (स्ट्रेन) हैं और यह टीका 'बी' प्रकार के अधिकांश बैक्टीरिया से सुरक्षा प्रदान देता है। यह टीका मेनिंजोकोकल बैक्टीरिया के 'सी' प्रकार से भी बचाव करता है। मेनिंजाइटिस एक गंभीर बीमारी है, जो कि मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को दीर्घकालीन क्षति पहुंचा सकती है। यह रोग जानलेवा भी हो सकता है। मेनिंजोकोकल मेनिंजाइटिस टीका आपके शिशु को सुर​क्षा प्रदान करता है।

छोटी माता (चिकनपॉक्स)
चिकनपॉक्स अत्याधिक संक्रामक रोग है, जो कि हर्पीस समूह के एक विषाणु से होता है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने या फिर किसी के साथ निकट संपर्क में रहने के कारण फैलता है। इसमें विशेष खुजली वाले दानें, छाले और हल्के फ्लू जैसे लक्षण होते हैं। अगर, आपके शिशु को पहले एक बार छोटी माता हो चुकी है, तो भविष्य में इसके दोबारा होने की संभावना बहुत कम होती है। इस रोग के खिलाफ प्रतिरक्षा के लिए वैरीसेला नामक टीका है, जो यह सुनिश्चित करेगा कि शिशु को दोबारा यह रोग कभी न हो।

जापानी इंसेफेलाइटिस
जापानी इंसेफेलाइटिस जेई विषाणुजनित मस्तिष्क का इनफेक्शन है। यह मच्छर के काटने से फैलता है। जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस जेईवी सूअरों और पक्षियों में पाया जाता है और जब मच्छर इन संक्रमित जानवरों को काटते हैं तो यह विषणाु मच्छरों में भी पहुंच जाता है। जेई एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता।

इसके लक्षणों में तेज बुखार, भ्रम की स्थिति, हिलने-डुलने में दिक्कत, दौरे, शरीर के अंगों का अनियंत्रित ढंग से हिलना और मांसपेशियां कमजोर होना शामिल है। इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं और उपचार न करवाने पर जानलेवा भी हो सकते हैं।

बहरहाल, यह इनफेक्शन स्थानिक है और मुख्यत: कुछ क्षेत्रों में ही पाया जाता है। डॉक्टर जेई का टीका लगवाने की सलाह तब ही देंगी जब आप ऐसे क्षेत्र में रहते हो जहां जेई फैलने का जोखिम हो या फिर ऐसे क्षेत्रों में आपको यात्रा पर जाना हो। इस बारे में अपनी डॉक्टर से अधिक जानकारी लें।

हैजा (कॉलरा)

हैजा जीवाण्विक संक्रमण है जो गंभीर दस्त और निर्जलीकरण का कारण बनता है। यह अशुद्ध पानी पीने या संक्रमित व्यक्ति द्धारा छुए गए दूषित भोजन के सेवन से होता है। यदि इसका उपचार न करवाया जाए तो कुछ ही घंटों में यह जानलेवा हो सकता है।

यह इनफेक्शन मुख्यत: उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में होता है, जहां स्वच्छ पानी और साफ-सफाई नहीं होती। यदि आप ऐसी जगह रहते हैं या फिर यहां यात्रा पर जाना हो तो डॉक्टर कॉलरा का टीका लगवाने की सलाह देते हैं। इस बारे में डॉक्टर से अधिक जानकारी लें।

क्या मेरे शिशु को टीकों से कोई दुष्प्रभाव होगें?

टीकाकरण समेत सभी दवाइयों के कुछ हल्के दुष्प्रभाव हो सकते हैं। मगर टीके सबसे सुरक्षित दवाओं में से एक हैं।
इन साइड इफैक्ट्स के बारे में जानना अच्छा रहता है, ताकि यदि आपके शिशु को ऐसा हो तो आप स्थिति समझ सकें।

शिशु को डीटीपी, आईपीवी, पीसीवी या एचआईबी टीका लगवाने के बाद, आपको कुछ साइड इफेक्ट दिख सकते हैं। ये आमतौर पर टीका लगवाने के 24 घंटों के अंदर सामने आते हैं। आपके शिशु को निम्न दुष्प्रभाव हो सकते हैं:
  • हल्का बुखार
  • इंजेक्शन लगाए गए स्थान पर दर्द, सूजन और लाल होना
  • मिचली या उल्टी महसूस होना या भूख न लगना
  • दस्त (डायरिया) लगना
  • थकान या चिड़चिड़ापन होना

एमएमआर का टीका लगने के छह से 10 दिन बाद कभी-कभार कुछ हल्के दुष्प्रभाव सामने आते हैं। इनमें शामिल हैं:
  • हल्का बुखार
  • खसरे जैसे चकत्ते
  • भोजन न खाना
  • अस्वस्थ महसूस होना
आपके शिशु को चकत्ते हों, तो चिंता न करें। इसका यह मतलब नहीं कि उसको खसरा है। यह केवल एमएमआर टीके में मौजूद जीवित, मगर कमजोर विषाणु के प्रति प्रतिक्रिया है। क्योंकि उसका शरीर इस बीमारी के खिलाफ प्रतिरक्षण क्षमता विकसित कर रहा है।

रोटावायरस के टीके के बाद शिशु कई बार बेचैन और चिड़चिड़े लग सकते हैं और उन्हें हल्के दस्त भी हो सकते हैं। कुछ बहुत दुर्लभ मामलों में शिशुओं को पेट दर्द हो सकता है और खून व श्लेम मिला मल आ सकता है जो लाल रंग की जैली जैसा दिखता है। ऐसा एक लाख में से केवल एक शिशु के साथ होता है। मगर यदि यह आपके शिशु के साथ हो, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

यदि शिशु को टीकाकरण के बाद बुखार हो, तो उसे गर्मी में न रखें और उसे खूब सारा तरल पदार्थ पिलाएं। इन्फेंट पैरासिटामोल की डॉक्टर द्वारा बताई गई की निर्धारित खुराक दें।

यदि शिशु को तेज बुखार हो तो उसपर निगरानी रखें। कभी-कभी छोटे बच्चों में तेज बुखार के साथ बुखारी दौरे (फेब्राइल कनवल्जन) भी पड़ने लगते हैं, मगर ये दुर्लभ हैं। अगर, आपके शिशु को पहले भी दौरा पड़ा है, या परिवार में इसका इतिहास रहा है, तो ऐसी स्थिति में उसे दौरे पड़ने का खतरा ज्यादा रहता है। यदि शिशु को तेज बुखार हो या दौरा पड़ा हो तो तुरंत डॉक्टर से बात करें।

सभी टीकों में यह अत्याधिक दुर्लभ संभावना है कि आपके शिशु को गंभीर एलर्जिक प्रतिक्रिया हो, जिसे एनाफिलेक्सिस कहा जाता है। आपके बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो सकती है और तबियत बहुत ज्यादा बिगड़ सकती है।। हालांकि, ऐसा होने की संभावना बहुत ही कम होती है, 10 लाख में से किसी एक के साथ। मगर, यदि ऐसा हो तो यह टीकाकरण के कुछ ही मिनटों के भीतर होता है। क्लिनिक में मौजूद डॉक्टर और स्टाफ बच्चे का तुरंत उपचार कर सकेंगे और इससे वह बिल्कुल ठीक हो जाना चाहिए।

इस कारण से, आपको शायद इंजेक्शन लगने के 10 मिनट बाद तक क्लिनिक या अस्पताल में ही रहने के लिए कहा जा सकता है, ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि शिशु सुरक्षित है।

हालांकि, अगर आप किसी भी दुष्प्रभाव को लेकर चिंतित हैं, तो ​क्लिनिक में थोड़े और समय रुकने के लिए कह सकती हैं। अपनी किसी भी चिंता के बारे में शिशु के डॉक्टर से बात करने से न हिचकें।

टीकाकरण हमारे समाज को तभी सुरक्षित कर सकता है जब टीकाकरण वाली उम्र के सभी बच्चे टीकों के जरिये प्रतिरक्षित हों। हालांकि, बहुत सी खतरनाक बीमारियां अब दुर्लभ हैं, मगर यदि पर्याप्त बच्चे इनसे प्रतिरक्षित नहीं होंगे तो ये दोबारा फैल सकती हैं।

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हमारे लेख पढ़ें:

References


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Neha Khandelwal
Neha translates BabyCenter India's English content into Hindi to make it available to a wider audience.

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