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#Thread ये रूपल चौधरी हैं। मेरठ के पास रूपल का गांव है, पिता ओमवीर किसान हैं। पिता-पुत्री से मेरी मुलाक़ात JLN स्टेडियम में हुई थी। तारीख़ थी 12 अक्टूबर 2021, वो सुबह अच्छे से याद है। पिता ओमवीर ट्रैक से दूर एक कोने में बैठे थे। सफ़ेद शर्ट, सफेद गमछा और एक पिट्ठू बैग! (1/8)
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जब हमने बात की तो ओमवीर अपना और बिटिया के संघर्ष के बारे में बताने लगे। रूपल को एथलीट बनना था, मना किया तो बिटिया ने खाना छोड़ दिया। बाद में पिता मान गए और बेटी के सपनों को सच करने में जुट गए। 12 अक्टूबर 2021 को रूपल नेशनल्स में दौड़ने JLN स्टेडियम पहुंचीं थीं। (2/8)
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जितना मुझे याद है, जब रूपल के पिता ओमवीर से बात हो रही थी तो वे अपनी बेटी पर भरोसा जता रहे थे कि आज रूपल रिकॉर्ड बनाएगी। उस दिन ओमवीर अपनी बेटी की परफॉर्मेंस से ज़्यादा सरकारी मदद को लेकर चिंतित थे, (3/8)
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फिर थोड़ा सा झिझके कि कहीं किसी को पता चला कि अधिकारियों और सरकारी मदद में ढील को लेकर उन्होंने मीडिया से बात की है तो बेटी रूपल का सपना अधूरा ना रह जाए! आज रूपल और उनकी टीम ने अंडर-20 वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में देश के लिए सिल्वर मेडल जीता है, (4/8) #rupalchaudhary
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इस मेडल की खनक और चमक मेरठ से करीब 20 दूर रूपल के गांव जैनपुर और ऐसे अनेक गावों तक ज़रूर पहुंची होगी। जहाँ रूपल-ओमवीर जैसी ना जाने कितनी पिता-पुत्री की जोड़ियां देश के लिए खेलने का ख़्वाब देख रही हैं। (5/8) #rupalchaudhary
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शायद इस जीत के बात कोई और रूपल दौड़ने लगे, शायद इस जीत के बाद कोई और पिता बिटिया के सपने के लिए 'समाज' से लड़ने लगे। मैं ऐसी कई पिता-पुत्री और पिता-पुत्र की जोड़ियों को जानता हूं जो इन ख़्वाबों को सच करने के लिए सालों से संघर्ष कर रहे हैं (6/8) #rupalchaudhary
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दुनिया से दूर अपनी मेहनत में जुटे हुए हैं, किसी ने बेटे के लिए अपना काम छोड़ दिया है तो कोई बिटिया के सपनों के लिए नौकरी के बाद समय निकलता है, बस बिटिया की रफ़्तार धीमी ना पड़े! उन्हें यहां ट्रैग करना चाहता था लेकिन नहीं कर रहा नहीं चाहता कि उनकी एकाग्रता में खलल पड़े। (7/8)
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आज इस मेडल के बाद ओमवीर-रूपल जैसे इन तमाम पिता-पुत्रियों का हौसला दोगुना हो गया होगा! शुभकामनाएं रूपल! #rupalchaudhary (8/8)
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