तो सच सामने आ ही गया:
प्रशांत किशोर की प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकातें होती है.
"मुलाकातोंं के बारे में सबको नहीं बता सकता"
"मुलाकात कब हुई बताउंगा तो भरोसा तोड़ुंगा"
विरोधी पार्टियों के कंस्लटेंट हैं दिल्ली की सर्दी पर तो बात नहीं होती होगी मोदी से.😀
लिंक https://youtu.be/005eDuLPYlg
देशभर के कांग्रेस वर्कर्स को कांग्रेस के अंदर के संघियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ना चाहिये. चिट्ठीबाज गैंग और संघी कांग्रेस नेता मोदी का विपक्ष खत्म करना चाहते हैं.
जब शरद पवार की तरफ़ से चुनौती आई थी तब देश भर के कार्यकर्ता दिल्ली पंहुचे थे और पार्टी को बचाया था.
वैसा ही समय अब है.
आपको UP जीतना है पर वहाँ रहना नहीं है
आपको UP का मुख्यमंत्री बनना है लेकिन विधानसभा में नहीं जाना है
यदि @yadavakhilesh करहल से इस्तीफ़ा दे कर विधानसभा में विपक्षी नेता के तौर पर नहीं बैठना चाहते हैं तो उन्हें 2027 भी भूल जाना चाहिए ! https://hindustantimes.com/india-news/akhilesh-yadav-likely-to-quit-karhal-assembly-seat-101647023639936.html…
I presume NDTV knew that it's a fake and they will have to run a denial yet went for a propaganda - even risking their credibility. It's time for NDTV to think as why they hv been chosen for this.
The Wire, Quint, Telegraph etc too have to think why Ram Guha is available to them.
Congress Denies Gandhis To Offer Resignations At Top Meet Tomorrow
https://ndtv.com/india-news/congress-denies-gandhis-to-offer-resignations-at-top-meet-tomorrow-2819341…
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सरकारी कर्मचारियों को ब्याज दर मे कटौती द्वारा राष्ट्रहित में योगदान का सुनहला अवसर मिला है।
मैं सभी सरकारी कर्मचारियों को हृदय से शुभकामनाएं प्रेषित करता हूँ।
न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि EPFO ने 2021-22 के लिए ब्याज दर 8.1 प्रतिशत कर दिया गया है।
● 2020-21 में 8.5℅,
● 2018-19, 2016-17 और 2017-18 मे 8.65%,
● 2015-16 में 8.8%,
● 2013-14 और 2014-15 में भी 8.75% ब्याज मिलता था।
#EPFO पर ब्याज दर घट कर इस वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए अब 8.1% हो गयी जो 10 साल के सबसे निचले स्तर पर है
पहले बेरोज़गारी फिर काम आय फिर महंगाई और अब भविष्यनिधि पर डाका
वाह मोदी जी
यह बहुत हैरानी की दुनिया है। यहां अपने निजी बोध से बहुत ही कम लोग जी रहे हैं। जो जी रहे हैं, वही सच्चे जी रहे हैं, बाकी तो सब बेजान हैं। उनकी जिंदगी में इतनी भी प्रतिभा नहीं है कि अपने लिए तय करें कि कैसे जीना है। सब दूसरे तय कर रहे हैं उनके लिए। विज्ञापनदाता तय कर देते हैं 1/4
August Landmesser एक जर्मन सैनिक था जिसने नाज़ी सैल्यूट में अपना हाथ नहीं उठाया. 90 साल बाद दुनिया इसी सैनिक का नाम जानती है - जो हिटलर को सल्यूट दे रहे थे वो गुमनाम मर गये.
किसी भी तानाशाह के सामने झुकने वाली भीड़ का यही अंजाम होता है.
मोदीजी के भाषणों को गौर से सुनना चाहिए। वो वही कहते हैं जो खुद करना चाहते हैं। और उसका दोष विपक्ष पर मढ़ते रहते हैं। कल उनके गुजरात आगमन पर जिस तरह से स्वागत प्रायोजित किए गए। फूलों की वर्षा की गई। क्या वो किसी राजतंत्र की ओर बढ़ते कदम से कम नजर आए थे?
चुनावो में हमेशा जीत सच्चाई की होनी चाहिये , जुठ और जुमलेबाजी की नहीं ।
जहाँ बेईमानी की जीत होती है, वहां #लोकतंत्र नही...#राजतंत्र की स्थापना शरू हो जाती है..!
https://twitter.com/i/spaces/1OyKADomoPDxb…
ईएम फॉर्स्टर की एक कहानी है The Machine Stops (जब मशीन रुक गई).
1903 में लिखे इस साइंस फिक्शन में उन्होंने बताया है कि कैसे पूरी दुनिया मशीन पर निर्भर है. सब काम मशीन से होते हैं.
फॉर्स्टर की मशीन का विकास हो चुका है. अब लोकतंत्र भी मशीन चलाती है.
वोट भी खुद ही डाल देती है. 😀
Smart societies learn lessons from history and don't fall in the trap while others have eagerness to experience fasicm themselves.
US quickly realised the threat from Trump and did a correction immediately while Rwanda went for the second option.
Let's see what India does.
ये रामचन्द्र गुहा ही थे जो नीतीश कुमार को कांग्रेस अध्यक्ष बनवा रहे थे।
प्रशांत कुमार से पहले गुहा ही राजनीतिक भोकाल बनाया करते थे। राजदीप सरदेसाई इन्हें ही अपना गुरु कहते हैं।
आस्तीन का सांप:
"मोदी नहीं तो कौन" सवाल को ज़िंदा रखने की साजिश चल रही है. रामचंद्र गुहा इसका अहम किरदार है.
गोदी मीडिया में ये कैम्पेन नहीं चलाना है. कंफ्यूज़न सेक्यूलर स्पेस में फैलाना है इसलिये टेलीग्राफ, क्विंंट और वायर जैसे प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किये जाते हैं - या हो जाते हैं.
Salwa Judum Media: The concept is now implemented in media strategies. Kill opposition by the media considered as 'secular'. Discredit opposition in its own constituency.
While Godi media is reserved for grade three content of hate mongering and Modi's promotion.
The news story of alleged resignations being carried on NDTV based on unnamed sources is completely unfair, mischievous and incorrect.
It is unfair for a TV channel to carry such unsubstantiated propaganda stories emanating from imaginary sources at the instance of ruling BJP.
आस्तीन का सांप:
"मोदी नहीं तो कौन" सवाल को ज़िंदा रखने की साजिश चल रही है. रामचंद्र गुहा इसका अहम किरदार है.
गोदी मीडिया में ये कैम्पेन नहीं चलाना है. कंफ्यूज़न सेक्यूलर स्पेस में फैलाना है इसलिये टेलीग्राफ, क्विंंट और वायर जैसे प्लेटफॉर्म इस्तेमाल किये जाते हैं - या हो जाते हैं.
August Landmesser एक जर्मन सैनिक था जिसने नाज़ी सैल्यूट में अपना हाथ नहीं उठाया. 90 साल बाद दुनिया इसी सैनिक का नाम जानती है - जो हिटलर को सल्यूट दे रहे थे वो गुमनाम मर गये.
किसी भी तानाशाह के सामने झुकने वाली भीड़ का यही अंजाम होता है.
इस बड़बोले को जनता ने सही जवाब दिया:
दुमरियागंज से बीजेपी उम्मीदवार राघवेंद्र सिंंह का वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो कह रहे थे कि जो उन्हे वोट नहीं देगा उसके अंदर मियां का खून है.
जनता ने सैयदा खातून को जिता दिया.😂
सीट हिंदू बाहुल्य है.
उत्तर प्रदेश में बीजेपी की जीत वैचारिक जीत है. लाभार्थी वगैहरा मुख्य कारण नहीं है.
एक विचारधारा एक कॉमन सूत्र है जो जाति, क्लास, जेंडर के भेदों से उपर काम करता है.
बढ़ती महंगाई घटती कमाई जानलेवा बेरोजगारी बुलेट-ट्रेन की तरह बढ़ते डीजल पेट्रोल गैस के दाम से बेहाल उत्तर प्रदेश की जनता
वोटर से हिन्दूत्व मे तब्दील हो गयी
उनके दैनिक जीवन के मुद्दे गौड़ हो गये
हिन्दूत्व की तथाकथित रक्षा जरूरी हो गयी
रोजगार मे घंटा बजने का कार्य मिलेगा
हां मैं गलत साबित हो गया. सिरे से.
मुझे यकीन था कि जो ऑक्सीजन न मिलने से अपनों को नहीं बचा पाये
अंतिम संस्कार तक नहीं कर पाये
वो सब जो बेरोजगार हो गये
जो महंगाई की मार झेल रहे हैं
जिनके अपनों को जीप से रौंदा गया
वो सब दमन के ख़िलाफ़ बटन दबायेंगे
मुझे यकीन था कि इंसाफ जीतेगा.
अगले कुछ घंटो में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के रुझान\नतीजे हमारे सामने होंगे.
उत्तर भारत का समाज और राजनीति संक्रमण काल में है. कई बार कुछ ऐसा घटता है जिसकी व्याख्या कठिन होती है.
उम्मीद भी जगाता और नई चुनौतियां भी लाता है.
एक क्लीन स्लेट से नतीजों को देखा जाय.
शुभकामानयें.
ईवीएम के मूवमेंट में नियमों की अनदेखी की बहुत शिकायते आ रही हैं. चुनाव आयोग को इन शंकाओं को दूर करना चाहिये.
VVPAT पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन होना चाहिये. कोर्ट ने कहा था कि काउंटिंग प्रक्रिया से वोटर भी संतुष्ट होना चाहिये.
बेहतर हो VVPAT और EVM की मिलान भी बताई जाये.
PM मोदी के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में @the_mooknayak को छूआछूत का भयावह और दर्दनाक मंजर देखने को मिला है.
मुसहर (दलित) जाति से आने वाले लोगों का कहना है कि हमें बिरादरी से बाहर निकाल दिया गया है, छूआछूत की वजह से हमें झाड़ू-पोछे का काम भी नहीं मिलता 1/1
https://twitter.com/i/spaces/1PlJQaELnkZJE…
इस बीच प्रशांत किशोर ने तृणमूल में जो बीज बोया था उसमे अंकुर फूट रहे हैं. अभिषेक बनर्जी साइडलाइन हो गये हैं फिलहाल और पार्टी में यंग बनाम ओल्ड शुरु हो गया है.
एग्ज़िट पोल का सच:
28 पेज का यही वो डॉक्यूमेंट है जिसे "बीजेपी के सीक्रेट और इंटरनल सर्वे" के नाम पर घुमाया जा रहा था.
गोदी मीडिया के एग्ज़िट पोल से मिला लीजिये.
#एग्जिट_पोल#ExitPoll#godimedia
इमरजेंसी: 1977 में वोट के तीन-चार दिन बाद काउंटिंग थी. मैं सातवीं में था.
रायबरेली के कलेक्ट्रेट में जहां मत पेटियां रखी गई थीं राजनारायण कैम्प कर रहे थे. वही सड़क के किनारे सोते थे.
इंदिरा गांधी उम्मीदवार थीं.
विनोद मल्होत्रा डीएम थे और
शायद बीजेपी नेता वीके मल्होत्रा के भाई थे.
If I ever write a novel set in the Hindi heartland one scene will definitely include workers doing night vigils at counting centres. In the long term the scenes we are witnessing tonight in Uttar pradesh reflects poorly on public faith in independence of institutions.
पिछले कुछ वर्षों से सर्वे और एग्ज़िट पोल लगातार गलत साबित हो रहे हैं लेकिन जवाबदेही नहीं तय होती हैै. बंगाल सिरे से गलत था.
आज शाम डिजिटल मीडिया और गोदी मीडिया के एग्ज़िट पोल्स की तुलना करते हुये एक लाइव प्लान किया है.
डिजिटल मीडिया में देशबंधु के अलावा किसने सर्वे कराये हैं?