किसान आंदोलन

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    दिल्ली के बाहर बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसान, सितंबर में लाए गए 3 कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, 2020, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून, 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 विरोध कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि ये कृषि सुधार कानून हैं तो किसान इसे काला कानून कहकर आर-पार की लड़ाई पर अड़े हुए हैं। सरकार का कहना है कि सितंबर में लागू किए गए ये कानून बिचौलियों की भूमिका समाप्त करके और किसान को देश में कहीं भी फसल बेचने की अनुमति देकर कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार करेंगे, लेकिन प्रदर्शनकारी किसानों को आशंका है कि नए कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य और खरीदारी प्रणाली को समाप्त कर देंगे और मंडी सिस्टम को अप्रभावी बना देंगे। सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के भले के लिए हैं और इससे जबकि दूसरी ओर किसान इसे काला कानून बता रहे हैं और इन कानूनों को वापस लेने के मांग पर विरोध कर रहे हैं। किसान कानून वापस लेने की अपनी पुरानी मांग पर अड़े हुए हैं और उनका कहना है कि कानून वापस न लिए जाने तक वह धरना-प्रदर्शन जारी रखेंगे। दिल्ली के बॉर्डरों के बाहर पंजाब-हरियाणा से आए हजारों की संख्या में किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। सरकान ने अपना पक्ष रखने और बीच का रास्ता निकालने के लिए किसानों के साथ कई दौर की बातचीत की है लेकिन किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि उन्हें ये संशोधन मंजूर नहीं है और वे लोग तीनों कानूनों वापस किए जाने तक अपनी मांगों पर डटे रहेंगे और तब तक आंदोलन वापसी का कोई सवाल ही नहीं है।