अफगानिस्तान में सरकार बनाने का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे तालिबान ने अपने सहयोगियों के दबाव में आकर फिलहाल उद्घाटन का कार्यक्रम टाल दिया है। यह कार्यक्रम शनिवार 11 सितंबर को होना था जब अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले की 20वीं बरसी है। इसी हमले के बाद अमेरिका ने तालिबान से अल-कायदा को देश में पनाह न देने के लिए कहा था लेकिन इस कट्टर इस्लामिक संगठन के इनकार करने के बाद अमेरिका ने इसे खत्म करने की ठान ली। करीब 20 साल तक चली जंग के बाद इस साल 31 अगस्त तक सभी अमेरिकी सैनिक अफगानिस्तान छोड़कर चले गए और तालिबान ने यहां सरकार बना ली।
कतर की सरकार पर दबाव
सरकार बनाने का जश्न तालिबानी नेता शनिवार को मनाना चाहते थे लेकिन रूस ने दोहा शांति समझौते की टीम को साफ कर दिया कि अगर ऐसा हुआ तो उसकी ओर से कार्यक्रम में कोई शामिल नहीं होगा। इस कार्यक्रम में शामिल होने की रजामंदी कई देशों ने भरी थी और अभी किसी और ने इस पर आपत्ति नहीं जताई है। हालांकि, 9/11 की बरसी पर जश्न को अमानवीय माना जा रहा था।
अब इसे रद्द करने के पीछे कतर की सरकार पर अमेरिका और NATO सहयोगियों की ओर से दबाव को मुख्य कारण माना जा रहा है। इससे पहले आरआईए समाचार एजेंसी ने बताया कि रूस के संसद के ऊपरी सदन के अध्यक्ष ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि राजदूत स्तर के अधिकारियों के जरिए तालिबान सरकार के उद्घाटन में रूस का प्रतिनिधित्व किया जाएगा।
तालिबान के साथ बात नहीं
क्रेमलिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेसकोव ने कहा कि रूसी संघ तालिबान के साथ बातचीत करने की योजना नहीं बना रहा है। पेसकोव ने कहा कि उन्होंने अपने दूतावास के माध्यम से तालिबान से संपर्क किया है क्योंकि यह युद्धग्रस्त देश में तैनात राजनयिक कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए और अन्य तकनीकी मुद्दों के लिए भी आवश्यक था।
20 साल पहले अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर ट्विन टावर्स पर हुए इस हमले में 2996 लोगों की मौत हुई थी और 40 अरब अमेरिकी डॉलर का नुकसान हुआ था। हमले में न्यूयॉर्क शहर में स्थित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीसी) की दो गगनचुंबी इमारतें पूरी तरह ध्वस्त हो गई थीं।
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