Munawwar Rana

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Lucknow, India
Joined March 2014
Born November 26, 1952

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    20 Dec 2019

    वफादारों को परखा जा रहा है, हमारा जिस्म दाग़ा जा रहा है। किसी बूढ़े की लाठी छिन गई है, वो देखो एक जनाज़ा जा रहा है। न जाने जुर्म क्या हमसे हुआ था, हमें किस्तों में लूटा जा रहा है।

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  2. 3 hours ago

    फौजी ड्रामे से अगर कुछ पैसे बचा लिए जाते तो बेचारे ये ग़रीब भी अपने घर सलामती के साथ पहुंच जाते। किसी को देख कर रोते हुए हंसना नहीं अच्छा, ये वो आंसू हैं जिनसे तख़्ते सुल्तानी पलटता है।

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  3. 19 hours ago

    न जाने कौन सी मजबूरियां परदेस लाई थीं, वो जितनी देर भी ज़िंदा रहा घर याद करता था। 😢

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  4. 23 hours ago

    निकले थे घर पहुंचने को लेकिन ना घर गए, उन पर भी फूल फेंको जो रस्ते में मर गए। Nikle the ghar pahunchne ko lekin naa ghar gaye, Unn par bhi phool phenko jo rastey me'n mar gaye.

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  5. 24 hours ago

    क्या 130 करोड़ लोगों में से 10 भी ऐसे हैं जो अपना मोबाइल बेच कर भूख से मरते हुए कुछ लोगों को बचा लें ? अगर इतना भी जज़्बा नहीं है, तो काहे के हिन्दू काहे के मुसलमान!

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  6. May 2

    कोरोना वॉरियर्स का सम्मान तो हम सभी कर रहे हैं। लेकिन रावत साहब! कोरोना वायरस पुलवामा नहीं है, ये तो दवाओं से ही ख़त्म होगा। इतनी फ़ौज की ताक़त और करोड़ों रुपये बर्बाद करने से क्या फ़ायदा? कोरोना के ख़िलाफ़ फौजी अस्पतालों के डॉक्टर्स को पूरी सुविधाओं के साथ मैदान में उतारिये।

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    May 1

    एक साधु की मौत एक युग की मौत है,सरयू नदी के किनारे तो लोग ज़िन्दगी हासिल करने के लिए आते हैं,अगर ये भी मान ले कि भूख से उनके प्राण नहीं निकले,तो फिर उन्होंने किसी अच्छे अस्पताल के साफ सुथरे बिस्तर पर अपनी आखरी सांसे क्यों नहीं ली,लाश तक घर को ना लोटी ऐसी सरयू भा गई

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  8. May 1

    लाश तक घर को ना लोटी ऐसी सरयू भा गई, हमने सोचा था कि कुछ सांसे बचा ले जाएंगे।

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  9. May 1

    एक साधु की मौत एक युग की मौत है। सरयू नदी के किनारे तो लोग ज़िन्दगी हासिल करने के लिए आते हैं। अगर ये मान भी लिया जाए कि भूख से उनके प्राण नहीं निकले, तो फिर उन्होंने किसी अच्छे अस्पताल के साफ सुथरे बिस्तर पर अपनीआखरी सांसे क्यों नहीं ली।

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  10. Retweeted

    This Ramzan Indian Muslims are staying and praying at home. It is crucial to fast, pray & eat at home and the best way to help save lives. Produced by

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  11. Retweeted

    बोझ उठाना शौक़ कहाँ है मजबूरी का सौदा है रहते रहते स्टेशन पर लोग क़ुली हो जाते हैं साहब का बहुत ही प्यारी शायरी पर शेर किया गया

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  12. Retweeted
    Apr 30

    So jaate hai'n footpath pe aḳhbar bichha kar, Mazdoor kabhii neend kii golii nahii'n khaate.

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  13. Apr 28

    मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता, अब इस से ज़ियादा मैं तेरा हो नहीं सकता। مٹى میں ملا دے کہ جدا ہو نہیں سکتا اب اس سے زیادہ میں ترا ہو نہیں سکتا Mitti me'n mila de ki judaa ho nahi'n sakta, Ab issey zyada me'n tera ho nahi'n sakta.

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  14. Apr 28

    बदन मे दौड़ता सारा लहू ईमान वाला है, मगर ज़ालिम समझता है कि पाकिस्तान वाला है। بدن میں دوڑتا سارا لہو ایمان والا ہے مگر ظالم سمجھتا ہے کہ پاکستان والا ہے Badan me'n daudta Saara lahu imaan wala hai, Magar zaalim samajhta hai ki Pakistan wala hai.

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  15. Apr 24

    Ramazan ke mubarak mahine me kisi bhi Aalim ya Molvi ko news channels ke debate me jaa kar apna aur apne bhai-behno'n ka Roza kharab nahi'n karna chahiye.

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  16. Apr 24

    रमज़ान के मुबारक महीने में किसी भी आलिम या मौलवी को न्यूज़ चैनल्स के डिबेट में जा कर अपना और अपने भाई-बहनों का रोज़ा खराब नहीं करना चाहिए।

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  17. Apr 24

    Kaash iss khwaab ki poori kabhi ye zidd ho jaae, Hum jaha'n sar ko jhuka de'n wahi'n masjid ho jaae. Dilo'n ki qurbat aur jismo'n ke faaslo'n ke saath Ramzan aapko Mubarak ho.

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  18. Apr 24

    काश इस ख़्वाब की पूरी कभी ये ज़िद हो जाए, हम जहां सर को झुका दें वहीं मस्जिद हो जाए। दिलों की कुर्बत और जिस्मों के फ़ासलों के साथ रमज़ान आपको मुबारक हो।

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  19. Apr 24

    Kaash iss khwaab ki poori kabhi ye zidd ho jaae, Hum jaha'n sar ko jhuka de'n wahi'n masjid ho jaae. Dilo'n ki qurbat aur jismo'n ke faaslo'n ke saath Ramzan aapko Mubarak ho.

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    Apr 17

    उनके होठों से मेरे हक़ में दुआ निकली है, जब मरज़ फैल चुका है तो दवा निकली है।

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  21. Apr 23

    किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई, मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में माँ आई। यहाँ से जाने वाला लौट कर कोई नहीं आया, मैं रोता रह गया लेकिन न वापस जा के माँ आई। - ‘सुख़न सराय’ ग़ज़ल संग्रह से

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