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छत्तीसगढ़

बुधवार, 1 अप्रैल 2020

छत्तीसगढ़ : सुकमा जिले में एक महिला समेत तीन नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस और सीआरपीएफ अधिकारियों के सामने एक महिला सहित तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। इन सभी ने 13 मार्च को आत्मसमर्पण कर दिया था। बता दें कि सीआरपीएफ और पुलिस द्वारा राज्य में नक्सलियों के खिलाफ एक अभियान चलाया जा रहा है। कई नक्सलियों ने पहले भी आत्मसमर्पण किया है।
 
पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने कहा कि इस बार तीन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है और कुछ के सिर पर नकद इनाम रखा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने खोखली माओवादी विचारधारा पर निराशा व्यक्त की है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सल में से एक ने कहा कि हमने नक्सल संगठन छोड़ने का फैसला किया है। क्योंकि, हम खोखले माओवादी विचारधारा से निराश थे। हम राज्य सरकार के आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से प्रभावित हैं।

15 लाख के इनामी दो नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

वहीं, छत्तीसगढ़ में ही 15 लाख रुपये के इनामी दो नक्सलियों ने राजनंदगांव पुलिस के समक्ष शनिवार को आत्मसमर्पण कर दिया। दोनों नक्सली पति-पत्नी हैं। 




 
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छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मी ने की आत्महत्या, एक महीने में ऐसी चौथी घटना

छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में शनिवार को एक पुलिसकर्मी ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। एक अधिकारी ने बताया कि कांस्टेबल रितेश प्रधान (40) को भागलपुर इलाके में सुबह लगभग 11:30 बजे उसकी पत्नी ने घर की छत से लटके हुए देखा। उन्होंने बताया कि उसके पास से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है।

मामला दर्ज कर लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि पिछले एक महीने में राज्य में पुलिसकर्मियों के आत्महत्या करने की यह चौथी घटना है। छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले महीने विधानसभा में जानकारी दी थी कि बीते दो वर्षों में राज्य में अर्धसैनिक बल के जवानों सहित 50 पुलिसकर्मियों ने परिवार और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं सहित विभिन्न कारणों से आत्महत्या की है। इनमें से 18 नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग से बताए गए थे।
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छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में नक्सली हमला, दो पुलिसकर्मी शहीद 

छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले में शनिवार को एक नक्सली हमला हुआ है। इस हमले में दो पुलिसकर्मियों के मारे जाने की खबर है। जानकारी के मुताबिक बस्तर जिले के मारदम क्षेत्र में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। गोलीबारी में छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल (CAF) के दो हेड कॉन्स्टेबल ने जान गंवा दी। इसके अलावा सीआरपीएफ का एक जवान भी शहीद है। 
 

जानकारी के मुताबिक बोदली और मालेवाही गांव के पास जंगलों में सुरक्षा बलों की नक्सलियों से मुठभेड़ हो गई। दरअसल मारडूम थाना क्षेत्र में सड़क तैयार की जा रही थी। इसी की सुरक्षा के लिए जवानों को तैनात किया गया था। मगर जब जवान जंगल के बीचोबीच थे, तभी नक्सलियों ने गोलियां चलाना शुरू कर दिया। 

घटना की जानकारी मिलने के तुरंत बाद ही अतिरिक्त पुलिस बल को मौके पर भेज दिया गया है। एक अन्य घटना में सीआरपीएफ का एक जवान घायल हुआ है। यह जवान बारूदी सुरंग के विस्फोट से घायल हुआ है। पुलिस ने बताया कि क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज कर दिया गया है।

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छत्तीसगढ़: एक युवती के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि, मरीजों की संख्या बढ़कर नौ हुई

छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है। दरअसल मंगलवार को एक युवती के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि हुई। इस तरह पिछले 24 घंटे के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण के दो नए मामले सामने आने के बाद इस वायरस से संक्रमित हुए लोगों की संख्या बढ़कर नौ हो गई है। इनमें से दो लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।

जानकारी के अनुसार, रायपुर निवासी लगभग 25 वर्षीय युवती में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई है। युवती को रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया है। युवती कुछ दिनों पहले लंदन से लौटी है।

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया था कि सोमवार रात कोरबा शहर के एक युवक में कोरोना की पुष्टि होने के बाद उसे एम्स में भर्ती कराया गया। राज्य में पिछले 24 घंटों में दो लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि की गई है।

इसके साथ ही उन्होंने बताया कि संक्रमित हुए दो लोगों रायपुर निवासी 68 वर्षीय वृध्द और भिलाई निवासी 33 वर्षीय युवक को इलाज के बाद एम्स से छुट्टी दे दी गई। बता दें कि रायपुर एम्स में पांच मरीजों को तथा बिलासपुर और राजनांदगांव जिले के अस्पतालों में एक-एक मरीज भर्ती हैं।

अधिकारी ने बताया कि प्रदेश में अब तक कोरोना के कुल 787 संभावित व्यक्तियों की पहचान कर उनके नमूने जांच के लिए भेजे गए हैं। अभी तक 732 के परिणाम निगेटिव मिले हैं और 46 की जांच जारी है।

अधिकारियों ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक ने बैठक लेकर कहा है कि छत्तीसगढ़ में अभी तक कोरोना संक्रमित लोगों में ब्रिटेन से आए व्यक्तियों की संख्या सर्वाधिक है। इसलिए ब्रिटेन से आए सभी लोगों के नमूनों की जांच की जाए।

उन्होंने बताया कि मंगलवार तक ब्रिटेन से आए 95 व्यक्तियों का नमूना लिया गया है। जिनमें से चार लोगों में कोरोना की पुष्टि की गई है तथा 47 नमूनों की रिपोर्ट निगेटिव आई है। शेष नमूनों की रिपोर्ट नहीं आई है।
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coronavirus coronavirus

Chhattisgarh: गाना गाकर लोगों को जागरूक करते दिखे पुलिस अधिकारी, लोग कर रहे तारीफ

देशभर में कोरोना वायरस से बचने के लिए लोगों को जागरुक किया जा रहा है। प्रधानमंत्री जहां लोगों को घरों में रहने और साफ सफाई रखने की सलाह दे रहे हैं वहीं आम लोग भी सरकार का पूरा सहयोग करते दिख रहे हैं।

छत्तीसगढ़ के एक पुलिस अधिकारी का वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। अभिनव उपाध्याय नाम के ये पुलिस अधिकारी लोगों को गाना गाकर जागरुक करते हुए दिख रहे हैं। 'एक प्यार का नगमा है' गाने की तर्ज पर एक नया गाना तैयार किया गया है जिसमें लोगों से सेनिटाइजर से हाथ धोने और घर से बाहर न जाने की अपील की जा रही है।

अभिनव उपाध्याय ने बिलासपुर के सिविल लाइंस में COVID-19 के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक गीत गाया। इलाके में एक महिला के सऊदी अरब से लौटने के बाद उसका टेस्ट किया गया था जो कि पॉजिटिव आया। राज्य में अब तक 7 कोविड-19 मामले सामने आ चुके हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने मार्च महीने में विदेश यात्रा से आए सभी लोगों को कोरोना जांच में कवर करने और आइसोलेशन में रखने का भी निर्णय लिया है।

पेट्रोलिंग पुलिस वैन में लगे लाउडस्पीकर में पुलिसकर्मी गाना गाकर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर लोग इस कदम की खूब तारीफ कर रहे हैं। पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन होने के बाद देश के विभिन्न हिस्सों में लोग घरों में रहने को मजबूर हैं। ऐसे में पुलिस इस तरह के वीडियो से लोगों का मनोबल बढ़ा रही है। इन दिनों सोसल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो वायरल हो रहे हैं।
 
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कोरोना: हफ्तों बाद लौटे छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस देव अब क्वारंटीन, राज्य में संक्रमितों की संख्या बढ़कर हुई सात

कोरोना वायरस ने दुनियाभर में बड़ी तबाही मचाई है। 30 हजार से अधिक लोगों की जान लेने के बाद सब इस महामारी ने भारत में भी तेजी से फैलना शुरू कर दिया है। लगातार बढ़ रहे मामलों की वजह से रविवार को संक्रमितों की संख्या हजार के पार हो गई।

इसे रोकने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें भी पूरे दमखम के साथ लगी हुई हैं। ऐसे में छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस देव सिंह पर सवाल उठने लगे हैं। राज्य में बढ़ते मामलों के बीच और लगातार हो रहे विरोध के बाद वे लंबे ब्रेक के बाद रायपुर लौटे। लेकिन लौटने के बाद उन्होंने खुद को क्वारंटीन कर लिया।

दरअसल, कोरोना वायरस के छ्त्तीसगढ़ में पैर पसारते ही राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस देव पहले तो बीमार रिश्तेदार का हवाला देकर मुंबई चले गए। इसके बाद लॉकडाउन के बहाने हफ्तेभर तक मुंबई में जमे रहे।

जब राज्य की जनता ने महामारी से लड़ने के लिए स्वास्थ्य मंत्री की खोजबीन की और सवाल पूछने शुरू किए तो दबाव बढ़ता देख टीएस देव आनन फानन में रायपुर पहुंचे।  लेकिन हद तो तब हो गई जब जनता की सुध लेने के बजाय मंत्री जी गाइडलाइन का हवाला देकर क्वारनटाइन हो गए। 

हालांकि उन्होंने आते ही सोशल मीडिया पर एक ट्वीट के माध्यम से राज्य में चल रही तैयारियों के बारे में जानकारी दी। अधिकारियों की मानें तो इस महामारी से निपटने के लिए मुख्यमंत्री लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं। बता दें कि राज्य में कोरोना से जुड़े मामले बढ़कर सात हो गए हैं।
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मां की मौत के बाद पैदल ही रायपुर से वाराणसी जा रहा है युवक, तीन दिन में पहुंचा बैकुंठपुर

देश में 21 दिनों की संपूर्ण देशबंदी जारी है। ऐसे में रेल, बस, विमान और सभी तरह की सेवाएं बंद हैं। जिसकी वजह से कई लोग पैदल ही अपने गांव लौट रहे हैं। हालांकि इस बीच कई ऐसे लोग हैं जो अपनों को खोने के बावजूद पैदल ही रास्ता तय कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला छत्तीसगढ़ में सामने आया है। जहां अपनी मां को खोने के बाद युवक रायपुर से पैदल चलकर वाराणसी जा रहा है।

इस युवक का नाम मुराकीम है। वह अपने दो दोस्तों विवेक और परवीन के साथ रायपुर से उत्तर प्रदेश के वारणसी पैदल चल रहे हैं। मुराकीम की मां की 25 मार्च को मौत हो गई थी। वे तीन दिनों में रायपुर के कोरिया जिले के बैकुंठपुर पहुंचे।

मुराकीम के एक दोस्त ने कहा, 'हम लगभग 20 किलोमीटर पैदल चल चुके हैं और हमने दो-तीन लोगों से रास्ते में लिफ्टी ली। जब हम बैंकुठपुर पहुंचे तो यहां मौजूद एक मेडिकल दुकान के मालिक ने हमारी मदद की।'
 


केवल मुराकीम ही नहीं कई लोग अपने गांव, राज्यों को लौट रहे हैं। ये लोग खुद को जिंदा रखने के लिए सैकड़ों मील का सफर पैदल ही तय कर रहे हैं। इनकी जद्दोजहद घर पहुंचने की है ताकि उन्हें भूख से न मरना पड़े। कुछ इसलिए वापस अपने घर कजा रहे हैं ताकि उनके बच्चों को भूख से तड़पना न पड़े। सरकार बेशक सभी लोगों की सहायता करने की कोशिश कर रही है लेकिन मौजूदा हालात में यह हालात नाकाफी साबित हो रहे हैं।
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छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के पांच नए मामले, प्रदेश में छह हुई संक्रमित मरीजों की सख्या

मुराकीम रायपुर से पैदल वाराणसी जा रहे हैं
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस भारत को तेजी से अपनी पकड़ में ले रहा है। शुक्रवार को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस वायरस से देश में 17 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 700 ले ज्यादा लोग संक्रमित हैं। ये जानलेवा वायरस छत्तीसगड़ तक भी पहुंच गया है। 

छत्तीसगढ़ में एक ही दिन में कोराना वायरस संक्रमण के पांच नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कोरोना प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। देर रात राज्य में तीन और नए मामले सामने आने के बाद प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या छह हो गई है। 

इन तीनों में से एक मरीज रायपुर, एक महिला बिलासपुर से और एक अन्य मरीज दुर्ग जिले से है। छह मरीजों में से रायपुर के तीन मरीजों और दुर्ग जिले के एक युवक का इलाज रायपुर के एम्स में किया जा रहा है। जबकि दो अन्य लोगों का इलाज उनके जिला मुख्यालय में स्थित अस्पतालों में किया जा रहा है। 

छत्तीसगढ़ में कोरोना का पहला मामला एक सप्ताह पहले सामने आया था। लंदन से लौटी 24 वर्षीय संक्रमित मिली थी। उसकी रिपोर्ट में वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उसे एम्स में भर्ती कराया गया था। वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के सभी पत्रकारों से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस महामारी के कवरेज के दौरान पूरी सावधानी बरतें, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरा पालन करें और प्रेस कांफ्रेंस आदि से बचें। 
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कोरोना वायरस: छत्तीसगढ़ में पांच नए मामले, विधानसभा में पत्रकारों का प्रवेश प्रतिबंधित

छत्तीसगढ़ में एक ही दिन में कोराना वायरस संक्रमण के पांच नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कोरोना प्रभावित मरीजों की संख्या बढ़कर छह हो गई है। छत्तीसगढ़ में बुधवार को राज्य सरकार ने राजनांदगांव के 26 वर्षीय युवक में तथा रायपुर में 26 वर्षीय युवती में कोराना वायरस के संक्रमण की पुष्टि की थी। देर रात राज्य में तीन और नए मामले सामने आने के बाद राज्य में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या छह हो गई है।

रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉक्टर नितिन एम नागरकर ने बताया कि बुधवार रात कोरोना वायरस प्रभावित तीन नए मरीजों के बारे में जानकारी मिली थी। इनमें से एक मरीज रायपुर से, एक महिला बिलासपुर से और एक अन्य मरीज दुर्ग जिले से हैं।

नागरकर ने बताया कि छह मरीजों में से रायपुर के तीन मरीजों और दुर्ग जिले के एक युवक का इलाज रायपुर के एम्स में किया जा रहा है। जबकि दो अन्य लोगों का इलाज उनके जिला मुख्यालय में स्थित अस्पतालों में किया जा रहा है।

राज्य में पिछले सप्ताह लंदन से लौटी 24 वर्षीय युवती कोरोना वायरस से संक्रमित मिली थी। उसकी रिपोर्ट में वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उसे एम्स में भर्ती कराया गया था। चिकित्सकों के अनुसार, युवती की हालत में सुधार हो रहा है। इधर राज्य के जनसंपर्क विभाग ने भोपाल में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के संवाददाता सम्मेलन में शामिल होने वाले छत्तीसगढ़ के पत्रकारों को तत्काल सेल्फ क्वारंटाइन यानी खुद को पृथक रखने और स्वास्थ्य अधिकारियों से संपर्क करने के लिए कहा है। इस महीने की 20 तारीख को इस संवाददाता सम्मेलन में भोपाल के कोरोना वायरस संक्रमित पत्रकार के भी शामिल होने की पुष्टि हुई है।

वहीं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के सभी पत्रकारों से आग्रह किया है कि कोरोना वायरस महामारी के कवरेज के दौरान पूरी सावधानी बरतें, सुरक्षा प्रोटोकॉल का पूरा पालन करें और प्रेस कॉन्फ्रेंस आदि से बचें। विधानसभा में पत्रकारों का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है। 
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छत्तीसगढ़: नक्सली हमले में शहीद जवानों को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दी श्रद्धांजलि

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नक्सली हमले में शहीद जवानों को सुकमा में श्रद्धांजलि दी। मुख्यमंत्री बघेल 23 मार्च को रायपुर से हेलीकॉप्टर से सुकमा पहुंचें। सुकमा जिले में शनिवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बल के 17 जवान लापता हो गए थे तथा 15 जवान घायल हो गए थे। आज सभी लापता जवानों के शव बरामद कर लिए गए हैं।

राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री बघेल ने जवानों की शहादत पर गहरा दुःख प्रकट किया है। उन्होंने शहीद जवानों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट करते हुए घटना में घायल जवानों के जल्द स्वास्थ्य लाभ की कामना की है। 

बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के मिनपा गांव के जंगल में 250 की संख्या में नक्सलियों ने लगभग 1.5 किलोमीटर तक घात लगाकर जवानों पर हमला किया था। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को जिले के एलमागुड़ा में नक्सली गतिविधियों की सूचना के बाद चिंतागुफा, बुरकपाल और तिमेलवाड़ा से डीआरजी, एसटीएफ और सीआपीएफ के कोबरा बटालियन के छह सौ जवानों को रवाना किया गया था।

उन्होंने बताया कि जब सुरक्षा बल के जवान मिनपा गांव के जंगल में थे तब लगभग 250 की संख्या में नक्सलियों ने जवानों पर हमला कर दिया। इस घटना में 15 जवान घायल हो गए थे। देर तक दोनों ओर से गोलीबारी के बाद नक्सली वहां से फरार हो गए थे।

पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस घटना के बाद 17 जवान लापता हो गए थे। बाद में सुरक्षा बलों ने लापता जवानों की खोज में खोजी अभियान चलाया था। आज लापता जवानों का शव बरामद कर लिया गया। उन्होंने बताया कि पुलिस को जानकारी मिली है कि इस मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों के बटालियन नंबर एक का कमांडर हिड़मा अपने दल का नेतृत्व कर कर रहा था। इस दौरान सुरक्षा बलों ने नक्सलियों का जमकर मुकाबला किया और लगभग चार घंटों तक गोलबारी होती रही।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ के दौरान आठ से नौ नक्सलियों को मार गिराया है और इतने ही संख्या में नक्सली घायल भी हुए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि इस मुठभेड़ के बाद से कम से कम 15 हथियार गायब हैं जिनमें एके 47 और अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर जैसे हथियार भी शामिल हैं।

अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ में घायल जवानों को रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सुकमा जिले में यह नक्सली हमला इस वर्ष का सबसे बड़ा नक्सली हमला है। इससे पहले 2017 में करीब के बुरकापाल क्षेत्र में नक्सलियों ने सीआरपीएफ के 25 जवानों की हत्या कर दी थी।
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सुकमा मुठभेड़ की अंतर्कथाः अति उत्साह में गईं 17 जिंदगियां

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुई नक्सलियों और सुरक्षाबलों की मुठभेड़ में डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी) के 12 लड़ाके और एसटीएफ के 5 जवानों की मौत एक बड़ी चूक का नतीजा थी। खुद को साबित करने और कुछ ज्यादा पाने के लालच में ये लड़ाके इतनी आगे निकल गए कि 'नक्सल के अजगर' कहे जाने वाले हिड़मा दस्ते ने आसानी से इनका शिकार कर लिया।

इनके पीछे सीआरपीएफ 'कोबरा' (कमांडो बटालियन फॉर रिजोल्यूट एक्शन) टीम और '150' बटालियन भी थी, लेकिन डीआरजी के लड़ाकों को भरोसा था कि वे अपने दम पर नक्सलियों को खत्म कर वाहवाही लूट लेंगे। इसी चक्कर में वे बाकी टीमों से काफी आगे निकल गए।

सीआरपीएफ के यूएवी में नक्सल गतिविधियों के फोटो भी नजर आए, इसके बावजूद बिना किसी तालमेल के वे लड़ाके बिल्कुल उसी दिशा में, उसी तरह आगे बढ़ गए, जैसा हिड़मा दस्ता चाहता था। और उनके घेरे में फंसकर जान गंवा बैठे।

डीआरजी में शामिल जवान, आखिर कौन हैं

बता दें कि डीआरजी में स्थानीय आदिवासियों को भर्ती किया गया है। ये लोग कभी नक्सलियों के बहुत निकट माने जाते थे। इनमें बहुत से ऐसे भी थे जो किसी न किसी तरह नक्सल कॉडर का हिस्सा रहे हैं। सरकार ने एक नीति के तहत इनका आत्मसमर्पण कराया। मुख्यधारा में लौटने के बाद इन्हें डीआरजी में शामिल कर लिया गया। ये भी कह सकते हैं कि डीआरजी इन्हीं लोगों के लिए बनाई गई थी।

नक्सल का टॉप कॉडर भी इनकी बहादुरी से परिचित है। यही वजह है कि अब वे डीआरजी को निशाना बनाने की फिराक में रहते हैं। दूसरी ओर, ये जवान भी सरकार और लोगों की नजरों में खुद को साबित करने के लिए सदैव दो कदम आगे चलना चाहते हैं।

नक्सल प्रभावित इलाके में लंबे समय से तैनात सीआरपीएफ के एक कमांडर बताते हैं, ऐसा नहीं है कि इनमें बहादुरी की कमी है। ये जंगलों के लड़ाके हैं। हालांकि इनके पास वैसे हथियार नहीं हैं, जो होने चाहिए। इनका अपना इंटेलिजेंस नेटवर्क है। हर ऑपरेशन में इनका जुनून यही रहता है कि किसी भी तरह से ये खुद को साबित करें।

अनुभवी नेतृत्व की भी चुनौती

यहां एक बड़ी दिक्कत नेतृत्व की है। बड़े ऑपरेशन में भी डीआरजी का नेतृत्व हवलदार या एएसआई करता है। वह सभी मुठभेड़ की रणनीति बनाने में कुशल होगा, ये हर जगह संभव नहीं होता।

सीआरपीएफ में नक्सलियों को मारने पर कोई प्रमोशन नहीं मिलता, जबकि डीआरजी में हर नक्सली की मौत पर कुछ भत्ते और प्रमोशन देने का प्रावधान है। यही वो लालच या चाहत है, जो उन्हें सामंजस्य और नेतृत्व जैसी बातों से दूर ले जाती है। सीआरपीएफ में इस तरह के ऑपरेशन के दौरान डिप्टी कमांडेंट और दो सहायक कमांडेंट साथ रहते हैं।

चार टीमें, दो सौ जवान, मगर होती गई चूक दर चूक ...
शनिवार को मिनपा के जंगलों में कोबरा, सीआरपीएफ बटालियन, एसटीएफ और डीआरजी की संयुक्त टीम विशेष ऑपरेशन के लिए निकली थी और इसमें दो सौ से अधिक जवान थे। कोराजगुड़ा के चिंतागुफा इलाके में इन टीमों ने नक्सलियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।

सीआरपीएफ के मुताबिक, इलाके में नक्सलियों की भारी मौजूदगी का अहसास था। यूएवी से मिली तस्वीर और लोकल इंटेलिजेंस रिपोर्ट से भी यह पुष्टि हो गई थी। उधर, हिड़मा कमांडर का दस्ता, जिसमें नक्सल की सेंट्रल टीम के सदस्य होते हैं, ये कॉडर में टॉप माना जाता है। इनका इंटेलिजेंस नेटवर्क भी बेहद मजबूत है।

इन्होंने डीआरजी को अपने जाल में फंसाया। ये जंगल में उन रास्तों पर अपने सबूत छोड़ते चले गए, जहां से डीआरजी को निकलना था। डीआरजी ने देखा, तो उसके जवान खुश हो गए। उन्होंने यह जानकारी पीछे चल रही सीआरपीएफ तक नहीं पहुंचाई।

चूंकि ये लोग लड़ना तो जानते हैं, लेकिन ऑपरेशन के दौरान कब कौन सा निर्णय लेना है, इसमें ये मार खा जाते हैं। स्थानीय हैं, इन्हें भी जंगलों के चप्पे-चप्पे का हाल मालूम है। कितना आगे जाना है और पीछे स्पोर्ट है या नहीं, दूरी कितनी है, इन बातों की परवाह किए बिना ये लड़ाके बहुत आगे निकल गए।

नतीजा, हिड़मा दस्ते ने इन्हें चारों तरफ से घेर लिया। बाकी टीमों का कोई अता-पता नहीं था। हालांकि एसटीएफ के कुछ जवान डीआरजी के साथ थे। नक्सलियों ने रणनीति के तहत डीआरजी की गोलियां बर्बाद कराईं। उन्होंने जंगल में पटाखे छोड़कर डीआरजी को फायर के लिए मजबूर किया।

डीआरजी बिना किसी नियमों का पालन किए आगे बढ़ते रहे और गुरिल्ला नक्सलियों के चक्रव्यूह में फंस कर रह गए।

नक्सलियों के पास बीपी जैकेट व पटके भी थे

हिड़मा के पास सीजीआरएल, रॉकेट लांचर और मोर्टार जैसे घातक हथियार थे। वे सभी बीपी जैकेट और सिर पर पटका पहने हुए थे। अभी तक जैकेट और पटका केवल सुरक्षाबलों के पास ही होते थे। अब नक्सली भी इनका इस्तेमाल कर रहे हैं। दूसरी ओर, डीआरजी व एसटीएफ के पास बड़े हथियार नहीं थे।

उनके पास ज्यादातर एके 47 थीं, जिसकी गोलियां नक्सलियों ने अपनी खास रणनीति से व्यर्थ करा दीं। नक्सलियों ने जवानों पर चारों तरफ से फायरिंग की। रॉकेट लांचर और मोर्टार का भी जमकर इस्तेमाल किया।

हिड़मा इन जवानों को अपने चक्रव्यूह में फंसा कर इतनी दूर ले गया कि बाद में सीआरपीएफ जवानों को वहां तक पहुंचने में ही कई घंटे लग गए। यही वजह रही कि नक्सली, डीआरजी और एसटीएफ जवानों के सभी हथियार लूट ले गए।

सीआरपीएफ कमांडर के अनुसार, इस घटना को टाला जा सकता था, बशर्तें डीआरजी के लड़ाके एक समन्वयपूर्ण नीति से आगे बढ़ते। लेकिन इलाके के सबसे बड़े नक्सल लीडर हिड़मा, जिसका अपना बहुत सटीक इंटेलिजेंस नेटवर्क है, द्वारा बनाई गई रणनीति में लड़ाके फंस गए।
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छत्तीसगढ़ के सुकमा में 17 जवान शहीद, सुरक्षा बलों की 15 राइफल भी ले उड़े नक्सली

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गए हैं। शनिवार को मुठभेड़ के बाद से ही ये जवान लापता थे। छत्तीसगढ़ पुलिस ने रविवार को यह जानकारी दी। 
पुलिस ने बताया कि नक्सलियों से मुठभेड़ में 5 एसटीएफ और 12 डीआरजी के जवान शहीद हुए हैं। सुरक्षा बल को शनिवार से इन जवानों की तलाश थी। 
 


सुरक्षा बल के लिए यह बड़ा झटका है। पुलिस को जवानों के शव मिनपा के जंगलों में मिले। शनिवार को इसी जगह पर नक्सलियों से मुठभेड़ हुई थी। इसके बाद छत्तीसगढ़ पुलिस ने बताया था कि दर्जनों सुरक्षा बल लापता हैं जबकि 14 जवान घायल हैं। 

छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी के मुताबिक 17 जवानों के शवों को राज्य पुलिस की रेस्क्यू टीम ने ढूंढ निकाला है। सुरक्षा बलों की 10 एके-47 समेत 15 ऑटोमैटिक राइफल्स लापता हैं।  पुलिस ने बताया कि चिंतागुफा क्षेत्र में कोरोजगुडा पहाड़ियों के पास शनिवार दोपहर एक बजे मुठभेड़ हुई थी। शाम तक सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच कई मुठभेड़ हुईं। नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन पुलिस की डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स और कोबरा टीम के 150 जवानों ने मिलकर किया था। रविवार को बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों को जवानों की तलाश के लिए भेजा गया था।  ... और पढ़ें

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से मुठभेड़ में 11 जवान घायल

छत्तीसगढ़ के उग्रवाद प्रभावित सुकमा जिले के जंगलों में शनिवार को नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में ग्यारह जवान घायल हो गए। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एल्मगुंदा के पास नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी के आधार पर पुलिस की जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी), स्पेशल टास्क फोर्स और कोबरा (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन) की एक संयुक्त टीम के जवानों ने चिंतागुफा, बुरकापाल और तिमेलवाड़ा शिविरों से तलाशी अभियान शुरू किया।

टीम के रायपुर से लगभग 450 किलोमीटर दूर स्थित चिंतागुफा इलाके में खजगुड़ा पहाड़ियों पर दोनों तरफ से गोलीबारी शुरू हो गई। अधिकारी ने बताया कि इस मुठभेड़ में डीआरजी के ग्यारह जवान घायल हो गए। उनमें से दो की हालत गंभीर बनी हुई है। उन्होंने बताया कि प्राप्त जानकारी के आधार पर सुरक्षा बलों के जोरदार हमले में कम से कम चार से पांच नक्सली मारे गए, जबकि इतने ही नक्सली घायल हुए हैं। 
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