भाजपा अध्यक्ष श्री अमित शाह का जीवन वृत्तान्त

अपनी संगठनात्मक क्षमताओं और कुशल रणनीतिक समझ के लिए जाने जाने वाले श्री अमित शाह परदे के पीछे के उन राजनीतिज्ञों में गिने जाते हैं, जिनका प्रभावशाली राजनैतिक इतिहास रहा है। श्री अमित शाह अपने आदर्शों पर अडिग रहने के लिए भी ख्यातिलब्ध हैं।

22 अक्तूबर, 1964 को जन्मे श्री अमित शाह अपनी अनुकरणीय संगठनात्मक क्षमता और सामरिक योजना के लिए सुप्रसिद्ध एक ऐसे जमीनी नेता हैं, जिनका न केवल एक प्रतिष्ठित राजनीतिक रिकॉर्ड रहा है, बल्कि वे अपने आदर्शों के प्रति दृढ़तापूर्वक प्रतिबद्ध भी रहे हैं। यद्यपि अमित शाह की पारिवारिक पृष्ठभूमि राजनीतिक नहीं थी, तथापि उनके परिवार में मानव प्रेम की उस भावना का समावेश था, जिसने उनके भीतर समाज की सेवा करने की इच्छा जागृत की। श्री शाह 14 वर्ष की अल्पावस्था में ही एक ‘तरुण स्वयसेवक’ के रूप में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की सदस्यता ग्रहण कर लिए, जिसने समय के साथ उनके जीवन की दिशा ही बदल दी।

गुजरात भाजपा में संगठनात्मक दायित्व

सन 1982 में अहमदाबाद में जैव रसायन विज्ञान के छात्र के रूप में अध्ययन के दौरान उन्होंने छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् के सचिव का पद संभाला। कुछ समय बाद वे भाजपा की अहमदाबाद इकाई के सचिव बने और इसके बाद तो जो उनके कदम बढ़े कि फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भाजपा की गुजरात इकाई में श्री शाह कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे और समय के साथ वहां के प्रतिष्ठित नेता के रूप में उभरते गए। सन 1997 में वे भारतीय जनता युवा मोर्चा के कोषाध्यक्ष और बाद में भाजपा की गुजरात इकाई के उपाध्यक्ष बनाए गए।

बड़ी चुनावी उपलब्धियां

सन 1995 में पहली बार सरखेज विधानसभा क्षेत्र से श्री शाह विधायक चुने गए। सन 1998 में सरखेज से ही अपने प्रतिद्वंद्वी को 1,32,477 मतों के अंतर से हराकर पुनः विधायक निर्वाचित हुए। सन 2002 में भी उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वी को 1,58,036 मतों के रिकॉर्ड अंतर से हराकर सरखेज विधानसभा क्षेत्र से फिर एकबार जीत हासिल की। लेकिन, यह रिकॉर्ड अधिक समय तक नहीं रहा क्योंकि, वर्ष 2007 के चुनाव में उन्होंने 2,32,823 मतों के अंतर से जीत हासिल कर स्वयं अपना यह रिकॉर्ड तोड़ दिया। वर्ष 2012 में वे नरनपुरा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़े और जीत दर्ज कर लगातार पांचवी बार गुजरात विधानसभा पहुंचे।

सहकारी क्षेत्र की कायापलट

कहा जाता है कि हर मृतप्राय इकाई को उसकी नियति में सुधारगामी परिवर्तन लाने हेतु एक दूरदर्शी नेता की आवश्यकता होती है। इसका एक उदाहरण अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक लिमिटेड है, जिसे सन 2000 में दिवालिया होने की कगार पर होने और नेतृत्व के अभाव के कारण एक विफल बैंक घोषित कर दिया गया था। इसी चुनौतीपूर्ण समय में श्री अमित शाह को बैंक के अध्यक्ष के रूप में लाया गया। श्री शाह ने नैतिक मूल्यों के साथ एक सकारात्मक शुरुआत की और माना कि सक्षम प्रशासन के साथ लाभांश का समुचित भुगतान, नैतिकता और पूरे समर्पण के साथ काम करने से बैंक के अच्छे दिन वापस लाए जा सकते हैं। श्री शाह के कुशल प्रबंधन एवं दूरदर्शी नेतृत्व का प्रभाव दिखा और उनके कार्यभार सँभालने के समय 20.28 करोड़ की हानि में दबा बैंक अगले एक वर्ष में न केवल अपने सारे कर्ज चुका दिया बल्कि 10% का लाभांश प्राप्त कर लाभ कमाने वाले बैंकों की श्रेणी में शामिल हो गया। आज वही अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक लिमिटेड देश के 367 सहकारी बैंकों में से एक प्रमुख बैंक है।

माधवपुरा और अन्य शहरी सहकारी बैंकों के बंद होने से जब लोगों का विश्वास सहकारी बैंकों से उठ गया, तब भी श्री अमित शाह ही वो व्यक्ति थे, जिनने लोगों के विश्वास को पुनः प्राप्त करने का दायित्व स्वीकारा। उनसे उत्प्रेरित होकर ही सरकार तथा भारतीय रिज़र्व बैंक ने भी माधवपुरा बैंक के लिए एक पुनर्निर्माण पैकेज का ऐलान किया। इधर श्री शाह ने स्वयं ही फ्लेक्सी जमा योजना की शुरुआत सुनिश्चित कर सहकारी बैंकों को लाभ के लिए अपने धन का निवेश करने हेतु सक्षम बनाने का कार्य किया। इसके अलावा श्री शाह ने दबाव बनाकर राज्य सरकार से सहकारी बैंकों के क़ानून में संशोधन करवाया, जिसके द्वारा दोषी सहकारी बैंकों पर कानूनी कार्रवाई का प्रावधान सुनिश्चित हो सका।

राज्य प्रशासन में उल्लेखनीय सफलता

सन 1995 में श्री केशुभाई पटेल के गुजरात के मुख्यमंत्री होने के दौरान श्री अमित शाह को गुजरात राज्य वित्तीय निगम (GSFC) का अध्यक्ष बनाया गया। श्री शाह इस निगम के सबसे कम उम्र के अध्यक्ष थे। वर्ष 2002 में श्री नरेंद्र मोदी की सरकार में श्री शाह को राज्य मंत्री बनाया गया। मंत्री के रूप में कार्य करते हुए उन्होंने पुलिस, परिवहन, आवास, सीमा सुरक्षा, नागरिक सुरक्षा, ग्राम रक्षक दल, होमगार्ड, जेल, निषेध, आबकारी, क़ानून और न्याय, संसदीय कार्य समेत गृह मंत्रालय आदि तमाम विभागों का कार्यभार संभाला।
श्री शाह ने खेलों के क्षेत्र में भी कार्य किया है। कुछ समय तक वे गुजरात के शतरंज संघ के अध्यक्ष रहे। फिर सन 2009 में उन्हें गुजरात क्रिकेट संघ का उपाध्यक्ष बनाया गया, जिस पद पर वे वर्ष 2014 तक रहे।

आम चुनाव 2014

राजनीतिक रणनीति और दृष्टिकोण में श्री शाह की अद्भुत कुशलता के कारण उन्हें 2010 में पार्टी का महासचिव और बाद में लोकसभा चुनाव की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया। एक छोटी सी अवधि के अंदर ही श्री शाह ने उत्तर प्रदेश में भाजपा के भाग्य को पलट दिया, इसका प्रमाण तब देखने को मिला जब वर्ष 2014 में हुए गत लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आए। भाजपा और उसके सहयोगियों को उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर जीत मिली जो कि अबतक का सबसे शानदार प्रदर्शन था। साथ ही भाजपा के मत प्रतिशत में भी ढाई गुना वृद्धि दर्ज की गई। इसके अलावा श्री शाह भाजपा की चुनाव समिति के सदस्य भी थे। 2014 लोकसभा चुनावों में जनसंपर्क, सामूहिक अभियान और नए मतदाताओं के नामांकन का दायित्व अपने हाथ में लेकर उन्होंने एक परिणामोन्मुख रणनीति बनाई तथा इन चुनावों में भाजपा को अभूतपूर्व जीत दिलाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाए। इसी क्रम में यह भी उल्लेखनीय होगा कि इससे पूर्व में श्री अमित शाह पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी और भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री लाल कृष्ण आडवाणी के चुनावों का भी कुशल प्रबंधन कर उनकी चुनावी जीत सुनिश्चित कर चुके हैं।

खेल प्रशासन

श्री अमित शाह ने गुजरात राज्य शतरंज एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में सेवा की है। वर्ष 2009 में वे गुजरात क्रिकेट एसोसिएशन के उपाध्यक्ष बने एवं वर्ष 2014 में इस एसोसिएशन अध्यक्ष के तौर पर पदभार ग्रहण किया।
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