सन 1977 में आप बतौर विधायक उत्तर प्रदेश विधानसभा में पहुंचे।

सन 1983 में उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश सचिव और 1984 में भाजपा की युवा इकाई (भाजयुमो) के प्रदेश अध्यक्ष, सन 1986 में भाजयुमो के राष्ट्रीय महासचिव और 1988 में राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

सन 1988 में ही आपको उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य चुना गया तथा सन 1991 में आपने उत्तर प्रदेश सरकार में शिक्षा मंत्री का पदभार संभाला। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री रहने के दौरान आपने नक़ल निरोधी अधिनियम पारित करवाने से लेकर पाठ्यक्रम में वैदिक गणित को सम्मिलित करवाने तथा इतिहास की पुस्तकों के विभिन्न हिस्सों में सुधार करवाने संबंधी अपने विभिन्न कार्यों द्वारा शासन के उच्च मानदण्ड स्थापित किए।

1994 में आप राज्य सभा सांसद के साथ-साथ राज्य सभा में भाजपा के मुख्य सचेतक भी चुने गए। 25 मार्च, 1997 में आपको उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया। इस दौरान संगठन को सशक्त करने और विस्तार देने के अलावा अपने दो बार के नेतृत्व में आपने राजनीतिक संकट के दौर में भाजपानीत सरकार को सुरक्षित रखने में भी अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

22 नवम्बर, 1999 को आप केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री बने। इस कार्यकाल के दौरान आपको श्री अटल बिहारी वाजपेयी के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट एनएचडीपी अर्थात राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना के शुभारम्भ का अवसर प्राप्त हुआ।

28 अक्तूबर, सन 2000 में आप दूसरी बार बाराबंकी के हैदरगढ़ विधानसभा से विधायक निर्वाचित हुए तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाले। तदुपरांत, सन 2002 में आप भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बनाए गए।

24 मई, 2003 को केन्द्रीय कृषि मंत्री और बाद में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बने। इस कार्यकाल के दौरान आपने किसान कॉल सेंटर और कृषि आय बीमा योजना जैसी कुछ युगांतरकारी योजनाओं का आरम्भ किया।

जुलाई, 2004 में आपको पुनः भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। महासचिव के रूप में आपने दो राज्यों छत्तीसगढ़ और झारखण्ड का प्रभार अपने हाथ में लिया और अपनी अनुकरणीय संगठनात्मक क्षमता के द्वारा इन दोनों ही राज्यों में भाजपा की जीत सुनिश्चित किए।

31 दिसंबर, 2005 को आप भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। भाजपा अध्यक्ष के रूप में आप देश के कोने-कोने तक गए। बढ़ रही आतंकी गतिविधियों और धमकियों के मद्देनज़र आतंरिक सुरक्षा के मुद्दे को उठाते हुए आपने भारत सुरक्षा यात्रा के रूप में देश के कई राज्यों का दौरा किया। बढ़ती महंगाई, किसानों की समस्याओं और कुटिल अल्पसंख्यकवाद को आपने संप्रग सरकार के अभ्यास की चीजें बताते हुए उसपर जोरदार हमला किया।

भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहने के दौरान आपने ‘बेरोजगारी: कारण और समाधान’ (Unemployment its reasons and remedies) नामक एक पुस्तक भी लिखी। 31 दिसंबर, 2005 से 19 दिसंबर, 2009 तक आप भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।

एकबार फिर आप वर्ष 2013 से वर्ष 2014 तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे.

श्री राजनाथ सिंह 2013-14

बाल्यकाल एवं शिक्षा

उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले (अब चंदौली जिला) की चकिया तहसील के बभोरा गांव में एक कृषक परिवार में श्री रामबदन सिंह और श्रीमती गुजराती देवी के परिवार में 10 जुलाई, 1951 को जन्मे श्री राजनाथ सिंह ने आरंभिक शिक्षा गांव में ही प्राप्त की। उसके उपरांत उन्होंने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी में स्नातकोत्तर की उपाधि ली। वह के. बी. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश में शिक्षक रहे।

राजनीतिक जीवन

वह मेधावी छात्र थे तथा छात्र जीवन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय स्वयंसेवक थे। वह 1972 में मिर्जापुर नगर के संघ कार्यवाह बने। 1969 से 1971 तक वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के गोरखपुर मंडल के संगठन मंत्री भी रहे।

उन्होंने 1974 में राजनीति में प्रवेश किया और भारतीय जन संघ के मिर्जापुर के सचिव बन गए। 1975 में वह जन संघ के जिला अध्यक्ष तथा जेपी आंदोलन के जिला संयोजक बनाए गए। 1977 में उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा में विधायक का चुनाव जीता।

1983 में वह उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश सचिव बने और 1984 में उन्हें भारतीय जनता पार्टी की युवा इकाई (भाजयुमो) का प्रांतीय अध्यक्ष बनाया गया। 1986 में वे भाजयुमो के महामंत्री हो गए तथा 1988 में उसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने।

1988 में उन्हें उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य चुना गया और 1991 में वह शिक्षा मंत्री बने। उत्तर प्रदेश में शिक्षा मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने उन्होंने नकल विरोधी कानून लाकर तथा वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में शामिल कर तथा इतिहास की पाठ्यपुस्तकों के विभिन्न अंश सुधारकर कुछ ऐतिहासिक कार्य किए।

1994 में वह राज्य सभा के सदस्य बने तथा राज्य सभा में भाजपा के मुख्य सचेतक भी बनाए गए।

25 मार्च, 1997 को वह उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए। इस दौरान उन्होंने संगठन को विस्तार देने तथा मजबूत बनाने के साथ-साथ राजनीतिक संकट के समय दो बार भाजपा नीत सरकार को बचाने में मुख्य भूमिका भी निभाई।

22 नवंबर, 1999 को वह केंद्रीय भूतल परिवहन मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्हें एनएचडीपी (राष्ट्रीय राजमार्ग विकास कार्यक्रम) आरंभ करने का अवसर मिला, जो श्री अटल बिहारी वाजपेयी की पसंदीदा परियोजना थी।

28 अक्टूबर, 2000 को वह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और बाराबंकी के हैदरगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से दो बार विधायक निर्वाचित हुए। 2002 में वह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए।

24 मई, 2003 को वह केंद्रीय कृषि मंत्री तथा बाद में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री बनाए गए। इस दौरान उन्होंने किसान कॉल सेंटर तथा कृषि आय बीमा योजना जैसी कुछ युगांतरकारी परियोजनाएं आरंभ कीं।

भाजपा के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने पूरे देश की यात्रा की। वह भारत सुरक्षा यात्रा पर भी निकले, जिसमें उन्होंने आतंकवादी गतिविधियों में वृद्धि तथा उनसे आंतरिक सुरक्षा को खतरे का विषय लेकर कई राज्यों का भ्रमण किया। उन्होंने आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि, किसानों की पीड़ा तथा संप्रग सरकार द्वारा किए जा रहे अल्पसंख्यकों के तुष्टिकरण जैसे मुद्दों पर जोर दिया। भाजयुमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने बेरोजगारी, उसके कारणों तथा समाधानों पर पुस्तक भी लिखी है।

जुलाई 2004 में वह एक बार पुनः भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव चुने गए। महासचिव के रूप में उन्होंने छत्तीसगढ़ तथा झारखंड का दायित्व संभाला और अपनी प्रभार संभाला एवं अपनी अनुकरणीय सांगठनिक क्षमता के द्वारा दोनों राज्यों में भाजपा की विजय सुनिश्चित की।

वह 31 दिसंबर, 2005 को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए, जो पद उन्होंने 19 दिसंबर, 2009 तक संभाला। मई 2009 में वह उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद से सांसद चुने गए। श्री राजनाथ सिंह 23 जनवरी, 2013 को एक बार फिर भाजपा अध्यक्ष चुने गए।

उपलब्धियाँ

सन 1992 में शिक्षा मंत्री रहते हुए स्वयं पहल करके नकल निरोधी अधिनियम पारित करवाए।
सन 1998 में उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए भाजपा को लोकसभा चुनाव में वहां की 58 सीटों पर शानदार जीत दिलाए।
केन्द्रीय भूतल परिवहन मंत्री रहते हुए श्री अटल बिहारी वाजपेयी के ड्रीम प्रोजेक्ट राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) जो कि स्वर्णिम चतुर्भुज और उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम गलियारे का एक भाग थी, का शुभारम्भ किए।
कृषि मंत्री के रूप में कार्य करते हुए कृषि कर्ज की ब्याज दरों को 14%-18% से कम करके 8% प्रतिशत करने का कार्य किए तथा किसान आयोग का गठन और आय बीमा योजना का आरम्भ भी किए।
किसान आयोग का गठन और आय बीमा योजना का आरम्भ किए।
अविभाजित यूपी के अंतिम मुख्यमंत्री रहे।
उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग और अनुसूचित जाति के बीच अति पिछड़ा वर्ग का आरम्भ कर आरक्षण व्यवस्था को एक तर्कसंगत रूप देने का प्रयास किए, जिससे आरक्षण के लाभ समाज के सबसे निचले वर्ग तक पहुँच सकें।
भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते हुए दृढ़ता पूर्वक यह अनुरोध किए कि भाजपा शासित राज्यों द्वारा किसानों को 1% की प्रतिशत की दर से कर्ज उपलब्ध कराना चाहिए और इस अनुरोध का क्रियान्वयन भी हुआ।
आपके भाजपाध्यक्ष रहने के दौरान ही सन 2008 में पार्टी ने पहली बार कर्नाटक में सरकार बनाई।
आपकी अध्यक्षता में ही भाजपा अपने संगठन में 33% पद महिलाओं को देने वाली पहली पार्टी (संभवतः पूरे विश्व में) बनी।
अपनी अध्यक्षता के दौरान ही आपने बूथ समितियों का गठन कर पार्टी को बूथ स्तर तक ले जाने का कार्य किया।
अक्तूबर, 2010 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय सांसद के रूप में वक्तव्य देने के साथ ही आप श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद इस अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हिंदी में वक्तव्य देने वाले द्वितीय नेता बन गए।
आपकी अध्यक्षता में ही सन 2014 में हुए 16वीं लोकसभा चुनावों में भाजपा 282 सीटों पर शानदार जीत हासिल कर केंद्र में सरकार बनाई।
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