- published: 20 Nov 2017
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Marathi (English pronunciation: i/məˈrɑːti/; मराठी Marāṭhī [məˈɾaʈʰi]) is an Indo-Aryan language spoken predominantly by Marathi people of Maharashtra. It is the official language and co-official language in Maharashtra and Goa states of Western India respectively, and is one of the 23 official languages of India. There were 73 million speakers in 2001; Marathi ranks 19th in the list of most spoken languages in the world. Marathi has the fourth largest number of native speakers in India. Marathi has some of the oldest literature of all modern Indo-Aryan languages, dating from about 900 AD. The major dialects of Marathi are Standard Marathi and the Varhadi dialect. There are other related languages such as Khandeshi, Dangi, Vadvali and Samavedi. Malvani Konkani has been heavily influenced by Marathi varieties.
Marathi is strongly influenced by Sanskrit & is the Indo-Aryan language with 50% of vocabulary identical to the Sanskrit language . Additionally, it has some special grammatical features derived from Sanskrit that are not retained in other major Indian languages. For example, Marathi has inclusive as well as exclusive forms of 'we' and also a neuter gender which is rarely present in languages like Hindi and Punjabi and absent in Bengali. Also, it is one of the three Indo-Aryan languages retaining Sanskrit letter ळ (the others are Gujarati and Punjabi).
Devanagari (/ˌdeɪvəˈnɑːɡəriː/ DAY-və-NAH-gər-ee; Hindustani: [d̪eːʋˈnaːɡri]; देवनागरी devanāgarī a compound of "deva" [देव] and "nāgarī" [नागरी]), also called Nagari (Nāgarī, नागरी), is an abugida (alphasyllabary) alphabet of India and Nepal. It is written from left to right, has a strong preference for symmetrical rounded shapes within squared outlines, and is recognisable by a horizontal line that runs along the top of full letters. In a cursory look, the Devanagari script appears different from other Indic scripts such as Bangla, Oriya or Gurmukhi, but a closer examination reveals they are very similar except for angles and structural emphasis.
The Nagari script has roots in the ancient Brahmi script family. Some of the earliest epigraphical evidence attesting to the developing Sanskrit Nagari script in ancient India, in a form similar to Devanagari, is from the 1st to 4th century CE inscriptions discovered in Gujarat. The Nagari script was in regular use by the 7th century CE and fully it was developed by about the end of first millennium. The use of Sanskrit in Nagari script in medieval India is attested by numerous pillar and cave temple inscriptions, including the 11th-century Udayagiri inscriptions in Madhya Pradesh, a brick with inscriptions found in Uttar Pradesh, dated to be from 1217 CE, which is now held at the British Museum. The script's proto- and related versions have been discovered in ancient relics outside of India, such as in Sri Lanka, Myanmar and Indonesia; while in East Asia, Siddha Matrika script considered as the closest precursor to Nagari was in use by Buddhists. Nagari has been the primus inter pares of the Indic scripts.
श्री कृष्ण अपनी बहन ने द्रौपदी की सम्मान की रक्षा भीमने शपथ ली(bhim sworn) द्रौपदी चीरहरण अनेक घटनाओं से दुर्योधन चिढ़ गया थां अत: हस्तिनापुर जाते हुए उसने मामा शकुनि के साथ पांडवों को हराकर उनका वैभव हस्तगत करने की एक युक्ति सोचीं शकुनि द्यूतक्रीड़ा में निपुण था-युधिष्ठिर को शौक अवश्य था किंतु खेलना नहीं आता था। अत उन सबने मिलकर धृतराष्ट्र को मना लिया। विदुर के विरोध करने पर भी धृतराष्ट्र ने उसी को इन्द्रप्रस्थ जाकर युधिष्ठिर को आमन्त्रित करने के लिए कहा, साथ ही यह भी कहा कि वह पांडवों को उनकी योजना के विषय में कुछ न बताये। विदुर उनका संदेश लेकर पांडवों को आमन्त्रित कर आये। पांडवों के हस्तिनापुर में पहुंचने पर विदुर ने उनको एकांत में संपूर्ण योजना से अवगत कर दिया तथापि युधिष्ठिर ने चुनौती स्वीकार कर ली तथा द्यूतक्रीड़ा में वे व्यक्तिगत समस्त दाव हारने के बाद भाइयों को, स्वयं अपने को तथा अ...
सियासत अपने देश में सत्ता को पाने के लिए धर्म के आधार पर लोगों को बांट सकती है, जातियों के आधार पर लोगों को बांट सकती है अलग-अलग वर्गों के लिहाज से भी लोगों को बांटती आई है, लेकिन क्या एक ही धर्म या ये कहें की भगवान विष्णु के दो अवतारों के नाम पर भी लोगों को बांटा जा सकता है सवाल बड़ा यही है और इसलिए तो हम पूछ रहे हैं किसके राम, किसके श्याम ? You can also visit us at: http://www.hindikhabar.com/ Like us on Facebook: http://www.hindikhabar.com/ Follow us on Twitter: https://twitter.com/HindiKhabar
भगवान कृष्ण को बंदी | नटखत बाल कृष्ण | ramanand sagar | dil ki awaz | mahabharat Shree Krishna liberated from two Arjuna trees, the two sons of Kubera who, in their previous lives, had been turned into trees, by Narada’s curse. This is their story: Once it so happened that these two brothers named Nalakubera and Manigreeva were so enamored of their wives that they did not notice the arrival of the great sage Narada. Insulted by this behavior, Narada cursed them thus: “You shall remain as two trees in Gokula forever.” Hearing this, the wives of Nalakubera and Manigreeva fell at the sage’s feet and asked him to forgive their husbands and take back his curse. Narada relented and said, ”A curse once given cannot be retracted. It can only be modified or lessened. Your husbands will be release...
समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का कहना है कि राम की तुलना में कृष्ण को मानने वालों की संख्या ज्यादा है। पूर्व सीएम का कहना है कि श्रीराम को सिर्फ उत्तर भारत में पूजा जाता है, लेकिन श्रीकृष्ण के अनुयायी उत्तर से लेकर दक्षिण तक हैं। About Channel: Hindi Khabar is a Hindi news channel with 24 hour coverage. Hindi News covers breaking news, latest news, politics, entertainment and sports from India & World. --------------------------------------------------------------------------------------- You can also visit us at: http://www.hindikhabar.com/ Like us on Facebook: http://www.hindikhabar.com/ Follow us on Twitter: https://twitter.com/HindiKhabar
कृष्ण(krishna) के बालरूप के दर्शन | शंकरजी की जोगी लीला | ramanand sagar | dil ki awaz | mahabharat भगवान शिव के इष्ट हैं विष्णु। जब विष्णुजी ने श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लिया तो अपने इष्ट के बाल रूप के दर्शन और उनकी लीला को देखने के लिए शिवजी ने जोगी रूप बनाया। प्रस्तुत है भगवान शंकर की जोगी लीला– श्रीमद्गोपीश्वरं वन्दे शंकरं करुणामयम्। सर्वक्लेशहरं देवं वृन्दारण्ये रतिप्रदम्।। श्रीकृष्ण के जन्म के समय श्रीशंकरजी समाधि में थे। जब वह जागृत हुए तब उन्हें मालूम हुआ कि श्रीकृष्ण ब्रज में बाल रूप में प्रकट हुये हैं, इससे शंकरजी ने बालकृष्ण के दर्शन के लिए जाने का विचार किया। शिवजी ने जोगी (साधु) का स्वाँग (रूप) सजाया और उनके दो गण–श्रृंगी व भृंगी भी उनके शिष्य बनकर साथ चल दिए। ‘श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय’ कीर्तन करते हुए वे नन्दगाँव में माता यशोदा के द्वार पर आकर खड...
dear friend... please listen first part..before this last part... https://www.youtube.com/edit?o=U&video;_id=ZD8Ar3JrCP4 इसके साथ ही प्रेम त्याग धर्म से भरा ये दिनकर जी की रश्मिरथी का तृतीय सर्ग संपन्न हुआ.. बहुत भावनात्मक जुड़ाव महसूस करता हूँ..जब आपकी प्रतिक्रियाएँ देखता हूँ...कि आज के समय में भी आपके ह्रदय में इन साहित्यों के लिए प्यास है। ..लगाव है.... और यही लगाव मुझे बाह्य स्त्रोत के रूप में प्रेरित करने का भी काम करता है.. धन्यवाद...यूं ही साथ चाहूंगा। heartily thanks for music which i used as a background...in audio... email sandeepdwivedi65@gmail.com
कृष्ण जन्माष्टमी: कहानी कृष्ण जन्म की मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया जमुना के तट पे विराजे हैं मोर मुकुट पर कानों में कुण्डल कर में मुरलिया साजे है मानव जीवन सबसे सुंदर और सर्वोत्तम होता है. मानव जीवन की खुशियों का कुछ ऐसा जलवा है कि भगवान भी इस खुशी को महसूस करने समय-समय पर धरती पर आते हैं. शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु ने भी समय-समय पर मानव रूप लेकर इस धरती के सुखों को भोगा है. भगवान विष्णु का ही एक रूप कृष्ण जी का भी है जिन्हें लीलाधर और लीलाओं का देवता माना जाता है. मान्यता है कि द्वापर युग के अंतिम चरण में भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था. इसी कारण शास्त्रों में भाद्रपद कृष्ण अष्टमी के दिन अर्द्धरात्रि में श्रीकृष्ण-जन्माष्टमी मनाने का उल्लेख मिलता है. पुराणों में इस दिन व्रत रखने को बेहद अहम बताया गया है. श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण...
सियासत के अतिवाद से अब देवता भी अछूते नहीं रहे, जहां बीजेपी राम नाम के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने की जुगत लगा रही है। वहीं सपा प्रमुख अखिलेश यादव सैफई में भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा लगाने की तैयारी में हैं। इस बीच सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने एक नया सियासी बखेड़ा खड़ा कर दिया है, मुलायम ने श्रीकृष्ण को पूरे देश का आराध्य बताते हुए राम के मुकाबले अधिक पूजनीय बताया है, सवाल ये है कि क्या भगवान भी कम या ज्यादा पूजनीय हो सकते हैं ? क्या भगवानों का भी भौगोलिक आधार पर बंटवारा किया जा सकता है ? इसी मुद्दे पर की हमने खास चर्चा.. About Channel: Hindi Khabar is a Hindi news channel with 24 hour coverage. Hindi News covers breaking news, latest news, politics, entertainment and sports from India & World. --------------------------------------------------------------------------------------- ...
krishna krishna रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मका की बेटी थीं । Bhismaka के राजा Jarasandha के जागीरदार था मगध । वह कृष्ण के साथ प्यार में पड़ गई थी और चाहती थीं, जिनके गुण, चरित्र, आकर्षण और महानता ने उन्हें बहुत कुछ सुना था। रुक्मिणी का सबसे बड़ा भाई रुक्मी हालांकि बुद्ध राजा कंस का दोस्त था, जिसे कृष्ण ने मार डाला था और शादी के खिलाफ था। महाभारत और पुराणों के अनुसार, कहा जाता है कि अगर कोई एक औरत थी बस के रूप में सुंदर और गुणी के रूप में अंदल था, यह रुक्मणी था। रुक्मिणी के माता-पिता कृष्णा को रुक्मिणी से शादी करना चाहते थे लेकिन रुक्मी , उनके भाई ने इसका विरोध किया। रुक्मी एक महत्वाकांक्षी राजकुमार थे और वह सम्राट जरासंध का क्रोध नहीं करना चाहता था, जो क्रुद्ध था। इसके बजाय, उन्होंने प्रस्तावित किया कि वह अपने दोस्त शिशुपाला, चेडी के मुकुट राजकुमार से विवाह कर लेगा शिशुपाल भी जरासंध का ...
The brutal war of Shri Krishna and Indra
In this video we will show you how "lord krishna" died.
krishna krishna कृष्ण जरासंद युद्ध भाग -1 | shree krishna leela | ramanand sagar | dil ki awaz | mahabharat जरासंध महाभारत कालीन मगध राज्य का नरेश था। वह बहुत ही शक्तिशाली राजा था और उसका सपना चक्रवती सम्राट बनने का था। यद्यपि वह एक शक्तिशाली राजा तो था, लेकिन वह था बहुत क्रूर। अजेय हो क अपना सपना पूरा करने के लिए उसने बहुत से राजाओं को अपने कारागार में बंदी बनाकर रखा था। वह मथुरा नरेश कंस का ससुर एवं परम मित्र था उसकी दोनो पुत्रियो आसित एव्म प्रापित का विवाह कंस से हुआ था। श्रीकृष्ण से कंस वध का प्रतिशोध लेने के लिए उसने १७ बार मथुरा पर चढ़ाई की लेकिन हर बार उसे असफल होना पड़ा। जरासंध श्री कृष्ण का परम शत्रु और एक योद्धा था। जन्म जरासंध के पिता थे मगधनरेश महाराज यल्ज्क् और उनकी दो पटरानियां थी। वह दोनो ही को एकसमान चाहते थे। बहुत समय व्यतीत हो गया और वे बूढ़े़ हो चले थे, लेकिन उनकी को...
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कृष्ण को पाना है तो एकादशी का व्रत सबसे उत्तम है
बाणासुर राजा बलि के सौ पुत्रों में से एक था। वह सबसे बड़ा, वीर तथा पराक्रमी था। अनौपम्या नाम की इसकी पत्नी को नारद ने एक मंत्र दिया था, जिससे यह सबको प्रसन्न कर सकती थी।[1] उसने घोर तपस्या के फलस्वरूप शिव से अनेक दुर्लभ वर प्राप्त किये थे। अत: वह गर्वोन्मत्त हो उठा था। उसके एक सहस्त्र बाहें थीं। वह शोणितपुर पर राज्य करता था। शिव से वर प्राप्ति बाणासुर बलि के सौ पुत्रों में ज्येष्ठ था। वह स्कंद को खेलता देख शिव की ओर आकृष्ट हुआ। उसने शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी। शिव ने वर मांगने को कहा तो उसने निम्न वर मांगे- देवी पार्वती उसे पुत्र-रूप में ग्रहण करें तथा वह स्कंद का छोटा भाई माना जाए। वह शिव से आरक्षित रहेगा। उसे अपने समान वीर से युद्ध करने का अवसर मिले। भगवान शिव ने कहा- "अपने स्थान पर स्थापित तुम्हारा ध्वज जब खंडित होकर गिर जायेगा, तभी तुम्हें युद्ध का अवसर मिलेगा।" बाणासु...
लोगों के साथ भगवान कृष्ण का बर्ताव करुणा से भरा था लेकिन कुछ लोगों के साथ वह बड़ी कठोरता से पेश आते थे। जब जिस तरह से जीवन को संभालने की जरूरत पड़ी, उन्होंने उसे उसी तरह से संभाला। हालात के लिए जो उचित हो, वही करने पर जोर देते थे श्री कृष्ण। श्री कृष्ण जब-जब लड़ाई के मैदान में भी उतरे, तो भी आखिरी पल तक उनकी यही कोशिश थी कि युद्ध को कैसे टाला जाए लेकिन जब टालना मुमकिन नहीं होता था तो वह मुस्कराते हुए लड़ाई के मैदान में एक योद्धा की तरह लड़ते थे। एक बार जरासंध अपनी बड़ी भारी सेना लेकर मथुरा आया। वह कृष्ण और बलराम को मार डालना चाहता था, क्योंकि उन्होंने उसके दामाद कंस की हत्या कर दी थी। कृष्ण और बलराम जानते थे कि उन्हें मारने की खातिर जरासंध मथुरा नगरी की घेराबंदी करके सारे लोगों को यातनाएं देगा। अत: लोगों की जान बचाने के लिए उन्होंने अपना परिवार और महल छोडऩे का फैसला किया और जंगल में ...
पवन पुत्र हनुमानजी की मदद से श्री कृष्ण ने भीम,बलरामजी,अर्जुन के अभिमान तोडा आनंद रामायण में वर्णन है कि द्वापर युग में हनुमानजी भीम की परीक्षा लेते हैं। अनिरुद्ध जोशी 'शतायु'| રામાનંદ સાગર आनंद रामायण में वर्णन है कि द्वापर युग में हनुमानजी भीम की परीक्षा लेते हैं। इसका बड़ा ही सुंदर प्रसंग है। महाभारत में... Read more at: http://hindi.webdunia.com/sanatan-dharma-history/hanuman-and-krishna-114021900016_5.html hanuman and bhima mahabharat ramanand sagar हनुमान उनकी दिव्य अस्त्रों से रक्षा कर रहे थे हमारी अन्य हिंदी विडियो पर भी आप अपनी शुभ नजर डाले- www.youtube.com/watch?v=b5T6R-DFxaA www.youtube.com/watch?v=tlrGBZum8rI www.youtube.com/watch?v=bC-H15ZRNV8 www.youtube.com/watch?v=-EiEAyz47po www.youtube.com/watch?v=QpkNo8FfbRc www.youtube.com/watch?v=c4dRiR-2ihw www.youtube.com/watch?...
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