जाँनिसारी सेना

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वियना युद्ध में जाँनिसारी सेना

जाँनिसारी सेना (Janissaries) टर्की की पैदल सेना का नाम था। सुलतान ओरखान ने सर्वप्रथम इसका संगठन १३३० में किया था। मुराद प्रथम ने इसकी उन्नति की और १३६२ में इसके सैनिकों की संख्या १०,००० हो गई। यह सेना, अपने रणकौशल और वीरतापूर्ण दक्षता के लिये प्रसिद्ध है। सैनिकों का यह दावा था कि वे युद्ध से कभी विचलित नहीं हुए। यह टर्की की बहुत बड़ी शक्ति थी। वैतनिक स्थायी सैनिकों की संख्या एक समय ६०,००० के लगभग थी। बाद में यह संख्या घटाकर २५,००० कर दी गई। इनके रहने के लिये कांस्टैंटिनोपिल तथा अन्य नगरों में बैरक बने हुए थे। अस्थायी सैनिकों की संख्या ३,००,००० से ४,००,००० तक रहती थी। ये सैनिक राज्य के सभी नगरों में बिखरे हुए थे और शांति के समय पुलिस का कार्य करते थे। सुलतान की अंगरक्षता में रहनेवाले जॉनिसारी धीरे-धीरे इनते उग्र हो गए कि वे कभी कभी विद्रोह भी करने लगे। किंतु इन विद्रोहों का दमन भी किया जाता रहा। १८२६ में जॉनिसारी सैनिकों ने नई राष्ट्रीय सेना की स्थापना के प्रस्ताव पर विद्रोह कर दिया। इसपर महमूद द्वितीय ने जॉनिसारी कमांडर-इन-चीफ की सहायता लेकर इन्हें बुरी तरह पराजित किया और उनकी बैरकें जला दीं। उसी समय एक शाही घोषणा के अनुसार यह सेना समाप्त कर दी गई। उसके लगभग १५,००० सैनिकों को मृत्युदंड दिया गया और २०,०० देश से निकाल दिए गए।