Nourishment of Divya Shishu
दिव्य शिशु का पालन पोषण
परम पूज्य संत श्रीआशाराम बापूजी द्वारा प्रेरित
मुख्य अंश:
* जब बच्चा बाहर आये तो जो नाल माँ के पेट से बच्चे की नाभि तक लगती है, जो बच्चे को पोषण देती है, जब बच्चा जन्मता है तो उसमे कुछ समय तक उसके अंदर पोषण का प्रवाह चलता रहता है माँ की संवेदना भी बहती रहती है, एकदम नली काट देने से अचेतन मन में डर बैठ जाता है |
* तो क्या करना चाहिए ? पहले तो देख ले बच्चे का
श्वासों-श्वास शुरू हो जाये (रोना शुरू कर दे तब) उसके बाद नली की परीक्षा करें २-३ मिनट में ही उसमे रक्त का स्त्रा
व होना बंद हो जाता है स्पंदन (Pulsation) जब बंद हो जाये, उस वक़्त एक रेशमी धागे से दो छोर में
बांध दो फिर कैंची
से नाल को काट दो, नाल का मुंह बच्चे की नाभि से ८ उंगल ऊपर से बांधे |
* फिर बच्चे को हाथ में लेके एक सूती कपड़े में एक नरम जगह पर रखे |
* एक
सोने की सलाई से घी और शहद विषम मात्रा में ले और
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