- published: 04 Jul 2014
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© Amit Shekhar, 2014, India Amit Shekhar has composed and sung the nazm "Anjaam" of Faiz Ahmad Faiz. The nazm is given below: हैं लबरेज़ आहों से ठंडी हवाएँ उदासी में डूबी हुई हैं घटाएँ मुहब्बत की दुनिया में शाम आ चुकी है सियहपोश हैँ ज़िंदगी की फ़ज़ाएँ मचलती हैं सीने में लाख आरज़ूएँ तड़पती हैं आँखों में लाख इल्तिजाएँ तग़ाफ़ुल के आग़ोश में सो रहे हैं तुम्हारे सितम और मेरी वफ़ाएँ मगर फिर भी ऐ मेरे मा'सूम क़ातिल तुम्हें प्यार करती हैं मेरी दुआएँ Meanings: लबरेज़ : परिपूर्ण इल्तिजाएँ : प्रार्थनाएँ तग़ाफ़ुल : उपेक्षा
gumsum gumsum pyar ka mausam anjana pool khilenge
कितनी बातें याद आती है तस्वीरें सी बन जाती हैं मैं कैसे इन्हें भूलूँ दिल को क्या समझाऊँ कितनी बातें कहने की है होठों पर जो सहमी सी है इक रोज़ इन्हें सुन लो क्यों ऐसे गुम-सूम हो क्यों पूरी हो ना पाई दास्तान कैसे आई है ऐसी दूरियाँ दोनो के दिलों में सवाल है फिर भी है खामोशी तो कौन है किसका दोषी कोई क्या कहे कैसी उलझनों के यह जाल है जिन में उलझे है दिल अब होना है क्या हासिल कोई क्या कहे दिल की हैं कैसी मजबूरियाँ खोये थे कैसे राहों के निशान कैसे आई हैं ऐसी दूरियाँ दोनो के दिलों में छुपा है जो इक अंजाना सा ग़म क्या हो पायेगा वो कम कोई क्या कहे दोनो ने कभी ज़िंदगी के इक मोड़ पे थी जो पाई है कैसी वो तनहाई कोई क्या कहे कितना वीरान है ये समा साँसों में जैसे घुलता है धुवाँ कैसे आई है ऐसी दूरियाँ कितनी बातें याद आती है तस्वीरें सी बन जाती हैं मैं कैसे इन्हें भूलूँ तुमसे आज यूँ मिलक...
एक कविता , जय नारायण कश्यप , मकान नंबर १२० , रौड़ा सैक्टर २ , बिलासपुर , हिमाचल प्रदेश , इंडिया। .......................................... खुली हवा में तुम भी चलो कुछ देर , ख्यालों में डूबते उतराते , कागज़ी जहाज उड़ाते , सूंघते रतरानी को , तुम भी चलो कुछ देर , समस्या सुलझे मेरे चिंतन से , कहाँ ? छोड़ दुनियावी झंझट , फिर लेने को यहां वहां , सूंघनें सोंधी खुशबू मिट्टी की ,तुम भी चलो कुछ देर , ये दुनियाँ , मानती सब की , कहाँ ? दौड़ चलें बग्घी लेकर , बच्चों का घोड़ा बनकर , फांकते , गोधूलि की धूल , तुम भी चलो कुछ देर , ये गगरी ज्ञान की , भरती ही कहाँ ? लोट चलो मिटटी में , मूढ़ सम , सूम की मानिंद , लगाते , सत् संतन की धूल , तुम भी चलो कुछ देर , खुली हवा में तुम भी चलो कुछ देर , ख्यालों में डूबते उतराते , कागज़ी जहाज उड़ाते , सूंघते रतरानी को , तुम भी चलो कुछ देर !! …५२६०५२०१५…जय…ओरिजी...
महामृत्युंजय मंत्र के जप व उपासना के तरीके आवश्यकता के अनुरूप होते हैं। जप के लिए अलग-अलग मंत्रों का प्रयोग होता है। मंत्र में दिए अक्षरों की संख्या से इनमें विविधता आती है। 'ॐ जूं सः' त्र्यक्षरी(3) मंत्र है। यह प्रभावशाली मंत्र है। मृत्यु तुल्य कष्ट के समय एवं आरोग्यता प्राप्ति हेतु इस मन्त्र का जाप करना चाहिए।