दीनबन्धु दीनानाथ मेरी सुध लीजिये !
दीनबन्धु दीनानाथ
मेरी
सुध लीजिये !
मेरी सुध लीजै दाता मेरी सुध लीजिये , दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी सुध लीजिये |
भाई नाहिं, बन्धु नाहिं, कुटुम्ब -परिवार नाहिं ।
ऐसा कोई मीत नाहिं, स्वार्थ बिना लीजिये ||
दीनबन्धु दीनानाथ मेरी सुध लीजिये !
मेरी सुध लीजै दाता मेरी सुध लीजिये , दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी सुध लीजिये |
सोने की सलय्या नाही, रूपे को रुपय्या नाही |
कोडी पैसा पा
स नाही जासे कछु लीजिये ||
दीनबन्धु दीनानाथ मेरी सुध लीजिये !
मेरी सुध लीजै दाता मेरी सुध लीजिये , दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी सुध लीजिये |
खेती नाही बाडी नाही बनिज ब्यापार नाही |
ऐसो कोई
साहू नाही जहां
सेंध कीजिये ||
दीनबन्धु दीनानाथ मेरी सुध लीजिये !
मेरी सुध लीजै दाता मेरी सुध लीजिये , दीनबन्धु दीनानाथ, मेरी सुध लीजिये |
कहत है मलूकदास छोड़ि दे पराई आस |
प्रभु की शरण में रह के , हरि की शरण में रह के , बाहर ना पसीजिये ||
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