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SB 5.20.18-33 | Description of the Krauñcadvīpa, Śākadvīpa & Puṣkaradvīpa Islands | Reading Summary
published: 31 Jul 2023
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SHAKDWEEP PARSI MAGA BRAHMINS CURED SAMB SON OF KRUSHNA WHO SUFFERED RAKTPITH.ALSO BUILD SUN TEMPLES
BHAGWADGITA ME DEV PUJA,VED SHASHTRA,AAKAR PUJA KA WIRODH KIYA GAYA HAI.USKA KAARAN YAH HAI KI.JAB PARSI PAIGAMBAR(ATHARWA RISHI) NE HINDU RISHI SAMAAJ KO YAGY AUR AYURVED KA GYAN THA.WAH GYAN NIRAKAR ISHWAR KA THA.MAGAR JALAN BHAW KE KAARAN.US GYAN ME JABAR JASTI SE DEV PUJA KO GUSAYA GAYA.ASUR SHABD KA ARTH BHI BADAL DIYA.PARSI ISHWAR AHURAMAZDA KA VED ME ASURA MEDHA HUWA HAI.ASUR KA ARTH,ZINDAGI DENEWALA AUR SARWA SHAKTIMAN.MEDHA KA ARTH,SABSE JYADA BUDDHIMAN.ATHRAWAN SHABD PARSI SAMAJ KA PRATHAM WARNA HAI.JAISKI HINDU ME BRAHMAN.VED KE ANUSAR YAGYA KI PRATHAM SHURUWAT ATHARWA KE DWARA HUI.AUR DIVYA AUSHADI(AYURVED) KA RACHAYTA BHI ATHARWA HAI.ATMA MUKTI KE LIYE SIRF BHAGWADGITA KA PATH KARE.ATHWA AUM KA UCHCHARAN KARE.SIRF AUM.AUM NAMAH SHIVAY NAHIN.BHAGWADGITA KA ISHWAR,JO KRUSHNA NE ...
published: 01 Nov 2022
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शाकद्वीप ब्राह्मण का गुणानुवाद करते जगत गुरू परमपूज्य श्री रामभद्राचार्य जी #youtubeshorts
published: 15 May 2023
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शाकद्वीपीय ब्राह्मण कौन होते हैं? प्रश्नावली भाग 3 | Shakdveepiya brahman kaun hote hai ? | Bhagwat
Prashnavali
जय स
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शाकद्वीपीय ब्राह्मण कौन होते हैं? प्रश्नावली भाग 3 | Shakdveepiya brahman kaun hote hai ? | Bhagwat
#शाकद्वीपीयब्राह्मणकौनहोतेहैं? #shakdveepiyabrahman
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published: 04 Sep 2022
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अपने गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, सूत्र व देवता का कैसे पता लगाएं?
भारत में जो भी रह रहे हैं वे सभी ऋषि और मुनियों
की संतानें हैं। चाहे वह सूर्यवंशी हो, असुरवंशी हो,
चंद्रवंशी हो या अन्य किसी भी कुल से हो। ऋषियों
में बहुत से ऐसे ऋषि थे जिन्होंने वेदों को संभालने
के लिए वेदों के विभाग करने उन्हें अनेक शाखाओं
में विभक्त करके सभी को अलग अलग वेद, शाखा
आदि को कंठस्थ कराकर उन्हें यह शिक्षा दी की
आप अपनी पढ़ियों को भी वेद की उक्त शाखा को
कंठस्थ कराएं। इस तरह ब्राह्मण कुल के अलग
अलग समाज का निर्माण होता गया।
वर्तमान में यदि कोई जानकार अपना परिचय देगा
तो अपना गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, शर्म, देवता,
आवंटक आदि को बताना होगा। अब हम जानते
हैं कि यह सब क्या होता है।
1.गोत्र : गोत्र का अर्थ है कि वह व्यक्ति किस
ऋषि के कुल का है। जैसे किसी ने कहा कि मेरे
गोत्र भारद्वाज है तो उसके कुल के ऋषि
भारद्वाज हुए। अर्थात भारद्वाज के कुल से
संबंध रखता है। भारद्वाज उसक...
published: 10 Jan 2022
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5/20 #भागवत #मूलपाठ मार्तण्ड किसका नाम है ?
#shrimadbhagwat #shriharibhaktiprachar #sunilhari #bhagwan #मूलपाठ #bhagwat #bhagwatkatha #hindi #bhagwatkatha #bhagwat_katha_mahotsav
#sanskrit
#श्रीमद्भागवत
#bhagwat #भागवत
#bhagwan
#moolpath
#hindi
#मूलपाठ
#हिंदी #shriharibhaktiprachar #sunilhari #shrimadbhagavatmahapuran #shrimadbhagwat #shrimadbhagwat #shrimadbhagwatkatha #श्री
#अर्थ सहित #wings #canto #chapter
#moolam
#skandh #शुकदेव #परीक्षित #shukdev #parikshit #questions #question
#skandha 5
#adhyaya 20
।।श्री हरि:।।
श्रीमद् भागवत महापुराणम्
स्कन्ध 5 अध्याय 20
पंचम: स्कंध: अथ विंश: अध्याय:।
अन्य छ:.द्वीपों तथा लोकालोक पर्वत का वर्णन ।
प्रश्न
१ #जंबूद्वीप कितना बड़ा है किस समुद्र से घिरा हुआ है ? ५/२०/२
२ #प्लक्षद्वीप के राजा कौन हैं तथा उसकी क्या विशेषता है ?
५/२०/२-७
३ प्लक्षद्वीप के निवासी भगवान् #सूर्य की क्या...
published: 14 Aug 2022
1:40:04
SHAKDWEEP PARSI MAGA BRAHMINS CURED SAMB SON OF KRUSHNA WHO SUFFERED RAKTPITH.ALSO BUILD SUN TEMPLES
BHAGWADGITA ME DEV PUJA,VED SHASHTRA,AAKAR PUJA KA WIRODH KIYA GAYA HAI.USKA KAARAN YAH HAI KI.JAB PARSI PAIGAMBAR(ATHARWA RISHI) NE HINDU RISHI SAMAAJ KO YAGY ...
BHAGWADGITA ME DEV PUJA,VED SHASHTRA,AAKAR PUJA KA WIRODH KIYA GAYA HAI.USKA KAARAN YAH HAI KI.JAB PARSI PAIGAMBAR(ATHARWA RISHI) NE HINDU RISHI SAMAAJ KO YAGY AUR AYURVED KA GYAN THA.WAH GYAN NIRAKAR ISHWAR KA THA.MAGAR JALAN BHAW KE KAARAN.US GYAN ME JABAR JASTI SE DEV PUJA KO GUSAYA GAYA.ASUR SHABD KA ARTH BHI BADAL DIYA.PARSI ISHWAR AHURAMAZDA KA VED ME ASURA MEDHA HUWA HAI.ASUR KA ARTH,ZINDAGI DENEWALA AUR SARWA SHAKTIMAN.MEDHA KA ARTH,SABSE JYADA BUDDHIMAN.ATHRAWAN SHABD PARSI SAMAJ KA PRATHAM WARNA HAI.JAISKI HINDU ME BRAHMAN.VED KE ANUSAR YAGYA KI PRATHAM SHURUWAT ATHARWA KE DWARA HUI.AUR DIVYA AUSHADI(AYURVED) KA RACHAYTA BHI ATHARWA HAI.ATMA MUKTI KE LIYE SIRF BHAGWADGITA KA PATH KARE.ATHWA AUM KA UCHCHARAN KARE.SIRF AUM.AUM NAMAH SHIVAY NAHIN.BHAGWADGITA KA ISHWAR,JO KRUSHNA NE BATAYA WAH AWAYAKT HAI.KRUSHNA ISHWAR NAHIN HAI. VED PROVES THAT PARSI PROPHET RISHI ATHARWA(ATHRAWAN IS FIRST WARNA OF PARSI COMMUNITY)FIRST DISCOVERED YAGY.AND ATHARWA RISHI IS THE AUTHOR OF DIYA AUSHADI(AYURVED). https://youtu.be/zgl2gg8tLLE https://youtu.be/u4zO8yj0Rmg 4K.VIDEOS.100%PROOF.BHAGWADGITA PROVES HINDUISM IS NOT RELIGION. https://youtu.be/8HwMtcnA-vU https://youtu.be/PgLO8X1lKxw https://youtu.be/NBpcgY6utEA https://youtu.be/7JtXsFhimbA https://youtu.be/09mogBvQ0cY https://youtu.be/qcnKxgpJvmk https://youtu.be/3UCCZQs_brA https://youtu.be/eHZCHGuaVf8
https://wn.com/Shakdweep_Parsi_Maga_Brahmins_Cured_Samb_Son_Of_Krushna_Who_Suffered_Raktpith.Also_Build_Sun_Temples
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- published: 01 Nov 2022
- views: 56
12:43
शाकद्वीपीय ब्राह्मण कौन होते हैं? प्रश्नावली भाग 3 | Shakdveepiya brahman kaun hote hai ? | Bhagwat
Prashnavali
जय स
सरयूपारिण ब्राह्मण वंशावली की सारी विडियो एक साथ देखने के लिए यहां क्लिक करें
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Prashnavali
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- published: 04 Sep 2022
- views: 6105
6:53
अपने गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, सूत्र व देवता का कैसे पता लगाएं?
भारत में जो भी रह रहे हैं वे सभी ऋषि और मुनियों
की संतानें हैं। चाहे वह सूर्यवंशी हो, असुरवंशी हो,
चंद्रवंशी हो या अन्य किसी भी कुल से हो। ऋषियों
में बहुत से...
भारत में जो भी रह रहे हैं वे सभी ऋषि और मुनियों
की संतानें हैं। चाहे वह सूर्यवंशी हो, असुरवंशी हो,
चंद्रवंशी हो या अन्य किसी भी कुल से हो। ऋषियों
में बहुत से ऐसे ऋषि थे जिन्होंने वेदों को संभालने
के लिए वेदों के विभाग करने उन्हें अनेक शाखाओं
में विभक्त करके सभी को अलग अलग वेद, शाखा
आदि को कंठस्थ कराकर उन्हें यह शिक्षा दी की
आप अपनी पढ़ियों को भी वेद की उक्त शाखा को
कंठस्थ कराएं। इस तरह ब्राह्मण कुल के अलग
अलग समाज का निर्माण होता गया।
वर्तमान में यदि कोई जानकार अपना परिचय देगा
तो अपना गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, शर्म, देवता,
आवंटक आदि को बताना होगा। अब हम जानते
हैं कि यह सब क्या होता है।
1.गोत्र : गोत्र का अर्थ है कि वह व्यक्ति किस
ऋषि के कुल का है। जैसे किसी ने कहा कि मेरे
गोत्र भारद्वाज है तो उसके कुल के ऋषि
भारद्वाज हुए। अर्थात भारद्वाज के कुल से
संबंध रखता है। भारद्वाज उसके कुल के आदि
पुरुष है। इसी तरह कोई इंद्र, सूर्य या चंद्रदेव से
तो कोई हिरण्याक्ष या हिरण्यकशिपु से संबंध
रखता है तो कोई महान राजा बलि की संतान
है। हालांकि सभी ऋषि अंगिरा, भृगु, अत्रि,
कश्यप, वशिष्ठ, अगस्त्य, कुशिक आदि
ऋषियों की ही संताने हैं।
गोत्रों के अनुसार ईकाई को 'गण' नाम दिया
गया। एक गण का व्यक्ति दूसरे गण में विवाह
कर सकता है। इस प्रकार जब कालांतर में
गणों के कुल के लोगों की संख्या बढ़ती गई
तो फिर उनमें अलग अलग भेद होते गए।
संख्या बढ़ने के साथ ही पक्ष और शाखाएं
बनाई गई। इस तरह इन उक्त ऋषियों के
पश्चात उनकी संतानों के विद्वान ऋषियों के
नामों से भी अन्य गोत्रों का नामकरण प्रचलित
हुए। जैसे अग्नि नाम का एक गोत्र या वंश है।
अग्नि के पुत्र अंगिरा हुए जिनके नाम का भी
गोत्र या वंश चला। फिर अंगिरा के पुत्र
बृहस्पति हुए और बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज
हुए जिनके नाम का भी गोत्र या वंश चला।
गोत्रों से व्यक्ति और वंश की पहचान होती है।
वंश से इतिहास की पहचान होती है। वे लोग
धन्य है जिन्होंने अपने कुल धर्म को नहीं
छोड़ा है।
2.प्रवर : प्रवर के वैसे तो अर्थ श्रेष्ठ होता है।
गोत्रकारों के पूर्वजों एवं महान ऋषियों को
प्रवर कहते हैं। जैसे भारद्वाज ऋषि के वंश
में अपने कर्मो द्वारा कोई व्यक्ति ऋषि होकर
महान हो गया है जो उसके नाम से आगे
वंश चलता है। यह मील के पत्थर जैसे है।
मूल ऋषि के कुल में तीन, पांच या सात
आदि महान ऋषि हो चले हैं। मूल ऋषि के
गोत्र के बाद जिस ऋषि का नाम आता है
उसे प्रवर कहते हैं।
3.वेद- वेदों की रचनाएं ऋषियों के
अंत:करण से प्रकट हुई थी। उस काल में
सिल्लाओं के अलावा लिखने का और कोई
साधन नहीं था। ऐसे में उनी ऋचाओं की
रक्षा और संवरक्षण हेतु एक परंपरा का
प्रचलन हुआ। वह यह कि उसे सुनाकर ही
दूसरे को याद कराया जाए और इस तरह
वह कंठस्थ कर ली जाए। चूंकि चारों वेद
कोई एक ऋषि याद नहीं रख सकता था
इसलिए गोत्रकारों ने ऋषियों के जिस भाग
का अध्ययन, अध्यापन, प्रचार प्रसार,
आदि किया उसकी रक्षा का भार उसकी
संतान पर पड़ता गया इससे उनके पूर्व
पुरुष जिस वेद ज्ञाता थे तदनुसार
वेदाभ्यासी कहलाते हैं।
4.शाखा- मान लो कि किसी एक ऋषि
की कुल संतान को एक ऋग्वेद के ही
संवरक्षण का कार्य सौंप दिया गया तो
फिर यह भी समस्या थी कि इतने
हजारों मंत्रों को कोई एक ही याद करके
कैसे रखे और कैसे वह अपनी अगली
पीढ़ी को हस्तांतरित करें। ऐसे में वेदों
की शखाओं का निर्माण हुआ। ऋषियों
ने प्रत्येक एक गोत्र के लिए एक वेद के
अध्ययन की परंपरा डाली थी, कालांतर
में जब एक व्यक्ति उसके गोत्र के लिए
निर्धारित वेद पढ़ने में असमर्थ हो जाता
था तो ऋषियों ने वैदिक परंपरा को जीवित
रखने के लिए शाखाओं का निर्माण किया।
इस प्रकार से प्रत्येक गोत्र के लिए अपने
वेद की उस शाखा का पूर्ण अध्ययन करना
आवश्यक कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने
जिसका अध्ययन किया, वह उस वेद की
शाखा के नाम से पहचाना गया। मतलब
यह कि उदाहरणार्थ किसी का गोत्र अंगिरा
, प्रवर भारद्वाज और वेद ऋग्वेद एवं ऋग्वेद
की 5 शाखाओं में से उसकी शाखा शाकल्प
है।
इसी तरह सूत्र होता है, व्यक्ति जब शाखा के
अध्ययन में भी असमर्थ हो गया, तब उस
गोत्र के परवर्ती ऋषियों ने उन शाखाओं को
सूत्र रूप में बांट दिया। फिर देवता, देवता
प्रत्येक वेद या शाखा का पठन, पाठन करने
वाले किसी विशेष देव की आराधना करते
हैं वही उनका कुल देवता या उनके आराध्य
देव है। इसी प्रकार कुल-देवी होती हैं। इसका
ज्ञान अगली पीढ़ी को दिया जाता है। इसके
अलावा दिशा, द्वार, शिखा, पाद आदि भेद
भी होते हैं। उक्त अंतिम भेद से यह पता
लगाया जा सकता है कि यह व्यक्ति किस
कुल का है, कौन से वेद की कौनसी शाखा के
कौन से सूत्र और कौन से सूत्र के कौन से देव
के ज्ञान को संवरक्षित करने वाला है।
वर्तमान में यह ज्ञान या यह जानकारी बहुत
कम ब्राहमणों हो ही रह गई है तो अन्य समाज
के बारे में सोचा नहीं जा सकता है कि उन्होंने
अपने कुल खानदान का क्या क्या खो दिया है।
लेकिन यदि कोई यह जानना चाहे तो अंतिम
भेद यदि वह जान ले तो प्रथम पर आसानी से
पहुंचा जा सकता है।
#brahman
#gotra
#pravar
#veda
https://wn.com/अपने_गोत्र,_प्रवर,_वेद,_शाखा,_सूत्र_व_देवता_का_कैसे_पता_लगाएं
भारत में जो भी रह रहे हैं वे सभी ऋषि और मुनियों
की संतानें हैं। चाहे वह सूर्यवंशी हो, असुरवंशी हो,
चंद्रवंशी हो या अन्य किसी भी कुल से हो। ऋषियों
में बहुत से ऐसे ऋषि थे जिन्होंने वेदों को संभालने
के लिए वेदों के विभाग करने उन्हें अनेक शाखाओं
में विभक्त करके सभी को अलग अलग वेद, शाखा
आदि को कंठस्थ कराकर उन्हें यह शिक्षा दी की
आप अपनी पढ़ियों को भी वेद की उक्त शाखा को
कंठस्थ कराएं। इस तरह ब्राह्मण कुल के अलग
अलग समाज का निर्माण होता गया।
वर्तमान में यदि कोई जानकार अपना परिचय देगा
तो अपना गोत्र, प्रवर, वेद, शाखा, शर्म, देवता,
आवंटक आदि को बताना होगा। अब हम जानते
हैं कि यह सब क्या होता है।
1.गोत्र : गोत्र का अर्थ है कि वह व्यक्ति किस
ऋषि के कुल का है। जैसे किसी ने कहा कि मेरे
गोत्र भारद्वाज है तो उसके कुल के ऋषि
भारद्वाज हुए। अर्थात भारद्वाज के कुल से
संबंध रखता है। भारद्वाज उसके कुल के आदि
पुरुष है। इसी तरह कोई इंद्र, सूर्य या चंद्रदेव से
तो कोई हिरण्याक्ष या हिरण्यकशिपु से संबंध
रखता है तो कोई महान राजा बलि की संतान
है। हालांकि सभी ऋषि अंगिरा, भृगु, अत्रि,
कश्यप, वशिष्ठ, अगस्त्य, कुशिक आदि
ऋषियों की ही संताने हैं।
गोत्रों के अनुसार ईकाई को 'गण' नाम दिया
गया। एक गण का व्यक्ति दूसरे गण में विवाह
कर सकता है। इस प्रकार जब कालांतर में
गणों के कुल के लोगों की संख्या बढ़ती गई
तो फिर उनमें अलग अलग भेद होते गए।
संख्या बढ़ने के साथ ही पक्ष और शाखाएं
बनाई गई। इस तरह इन उक्त ऋषियों के
पश्चात उनकी संतानों के विद्वान ऋषियों के
नामों से भी अन्य गोत्रों का नामकरण प्रचलित
हुए। जैसे अग्नि नाम का एक गोत्र या वंश है।
अग्नि के पुत्र अंगिरा हुए जिनके नाम का भी
गोत्र या वंश चला। फिर अंगिरा के पुत्र
बृहस्पति हुए और बृहस्पति के पुत्र भारद्वाज
हुए जिनके नाम का भी गोत्र या वंश चला।
गोत्रों से व्यक्ति और वंश की पहचान होती है।
वंश से इतिहास की पहचान होती है। वे लोग
धन्य है जिन्होंने अपने कुल धर्म को नहीं
छोड़ा है।
2.प्रवर : प्रवर के वैसे तो अर्थ श्रेष्ठ होता है।
गोत्रकारों के पूर्वजों एवं महान ऋषियों को
प्रवर कहते हैं। जैसे भारद्वाज ऋषि के वंश
में अपने कर्मो द्वारा कोई व्यक्ति ऋषि होकर
महान हो गया है जो उसके नाम से आगे
वंश चलता है। यह मील के पत्थर जैसे है।
मूल ऋषि के कुल में तीन, पांच या सात
आदि महान ऋषि हो चले हैं। मूल ऋषि के
गोत्र के बाद जिस ऋषि का नाम आता है
उसे प्रवर कहते हैं।
3.वेद- वेदों की रचनाएं ऋषियों के
अंत:करण से प्रकट हुई थी। उस काल में
सिल्लाओं के अलावा लिखने का और कोई
साधन नहीं था। ऐसे में उनी ऋचाओं की
रक्षा और संवरक्षण हेतु एक परंपरा का
प्रचलन हुआ। वह यह कि उसे सुनाकर ही
दूसरे को याद कराया जाए और इस तरह
वह कंठस्थ कर ली जाए। चूंकि चारों वेद
कोई एक ऋषि याद नहीं रख सकता था
इसलिए गोत्रकारों ने ऋषियों के जिस भाग
का अध्ययन, अध्यापन, प्रचार प्रसार,
आदि किया उसकी रक्षा का भार उसकी
संतान पर पड़ता गया इससे उनके पूर्व
पुरुष जिस वेद ज्ञाता थे तदनुसार
वेदाभ्यासी कहलाते हैं।
4.शाखा- मान लो कि किसी एक ऋषि
की कुल संतान को एक ऋग्वेद के ही
संवरक्षण का कार्य सौंप दिया गया तो
फिर यह भी समस्या थी कि इतने
हजारों मंत्रों को कोई एक ही याद करके
कैसे रखे और कैसे वह अपनी अगली
पीढ़ी को हस्तांतरित करें। ऐसे में वेदों
की शखाओं का निर्माण हुआ। ऋषियों
ने प्रत्येक एक गोत्र के लिए एक वेद के
अध्ययन की परंपरा डाली थी, कालांतर
में जब एक व्यक्ति उसके गोत्र के लिए
निर्धारित वेद पढ़ने में असमर्थ हो जाता
था तो ऋषियों ने वैदिक परंपरा को जीवित
रखने के लिए शाखाओं का निर्माण किया।
इस प्रकार से प्रत्येक गोत्र के लिए अपने
वेद की उस शाखा का पूर्ण अध्ययन करना
आवश्यक कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने
जिसका अध्ययन किया, वह उस वेद की
शाखा के नाम से पहचाना गया। मतलब
यह कि उदाहरणार्थ किसी का गोत्र अंगिरा
, प्रवर भारद्वाज और वेद ऋग्वेद एवं ऋग्वेद
की 5 शाखाओं में से उसकी शाखा शाकल्प
है।
इसी तरह सूत्र होता है, व्यक्ति जब शाखा के
अध्ययन में भी असमर्थ हो गया, तब उस
गोत्र के परवर्ती ऋषियों ने उन शाखाओं को
सूत्र रूप में बांट दिया। फिर देवता, देवता
प्रत्येक वेद या शाखा का पठन, पाठन करने
वाले किसी विशेष देव की आराधना करते
हैं वही उनका कुल देवता या उनके आराध्य
देव है। इसी प्रकार कुल-देवी होती हैं। इसका
ज्ञान अगली पीढ़ी को दिया जाता है। इसके
अलावा दिशा, द्वार, शिखा, पाद आदि भेद
भी होते हैं। उक्त अंतिम भेद से यह पता
लगाया जा सकता है कि यह व्यक्ति किस
कुल का है, कौन से वेद की कौनसी शाखा के
कौन से सूत्र और कौन से सूत्र के कौन से देव
के ज्ञान को संवरक्षित करने वाला है।
वर्तमान में यह ज्ञान या यह जानकारी बहुत
कम ब्राहमणों हो ही रह गई है तो अन्य समाज
के बारे में सोचा नहीं जा सकता है कि उन्होंने
अपने कुल खानदान का क्या क्या खो दिया है।
लेकिन यदि कोई यह जानना चाहे तो अंतिम
भेद यदि वह जान ले तो प्रथम पर आसानी से
पहुंचा जा सकता है।
#brahman
#gotra
#pravar
#veda
- published: 10 Jan 2022
- views: 18030
54:48
5/20 #भागवत #मूलपाठ मार्तण्ड किसका नाम है ?
#shrimadbhagwat #shriharibhaktiprachar #sunilhari #bhagwan #मूलपाठ #bhagwat #bhagwatkatha #hindi #bhagwatkatha #bhagwat_katha_mahotsav
#sanskrit
#श्रीमद्भागवत...
#shrimadbhagwat #shriharibhaktiprachar #sunilhari #bhagwan #मूलपाठ #bhagwat #bhagwatkatha #hindi #bhagwatkatha #bhagwat_katha_mahotsav
#sanskrit
#श्रीमद्भागवत
#bhagwat #भागवत
#bhagwan
#moolpath
#hindi
#मूलपाठ
#हिंदी #shriharibhaktiprachar #sunilhari #shrimadbhagavatmahapuran #shrimadbhagwat #shrimadbhagwat #shrimadbhagwatkatha #श्री
#अर्थ सहित #wings #canto #chapter
#moolam
#skandh #शुकदेव #परीक्षित #shukdev #parikshit #questions #question
#skandha 5
#adhyaya 20
।।श्री हरि:।।
श्रीमद् भागवत महापुराणम्
स्कन्ध 5 अध्याय 20
पंचम: स्कंध: अथ विंश: अध्याय:।
अन्य छ:.द्वीपों तथा लोकालोक पर्वत का वर्णन ।
प्रश्न
१ #जंबूद्वीप कितना बड़ा है किस समुद्र से घिरा हुआ है ? ५/२०/२
२ #प्लक्षद्वीप के राजा कौन हैं तथा उसकी क्या विशेषता है ?
५/२०/२-७
३ प्लक्षद्वीप के निवासी भगवान् #सूर्य की क्या स्तुति करते हैं ?
५/२०/५
४ #शाल्मली द्वीप कैसा है तथा वहाँ के निवासी चन्द्रदेव की क्या स्तुति करते हैं ? ५/२०/८-१२
५ #कुशद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं? ५/२०/१३-१७
६ #क्रौंचद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं? ५/२०/१८-२३
७ #शाकद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं? ५/२०/२४-२८
८ #पुष्करद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं ? ५/२०/२९-३३
९ # लोकालोक पर्वत कैसा है ?
५/२०/३६-४२
१० ब्रह्मांड का केंद्र कौन है और मार्तण्ड शब्द का क्या अर्थ है ?
५/२०/४३-४४
।।Sri Hari:।।
Srimad Bhagavatam Mahapuranam
Skanda 5 Chapter
The fifth Skanda the twentieth chapter.
Description of the other six.islands and the Lokaloka mountain.
question
1 #How big is Jambudvipa and it is surrounded by which sea? 5/20/2
2 #Who is the king of Plakshadweep and what are its characteristics?
5/20/2-7
3 What do the inhabitants of Plakshadweep praise Lord #Sun?
5/20/5
4 #What is the island of Shalmali like and what do the inhabitants praise the moon god? 5/20/8-12
5 #How much is the extent of Kushdvipa? Who is the king and the god to be worshipped? 5/20/13-1
6 #How much is the island of Crouch? Who is the king and the god to be worshipped? 5/20/18-23
7 How much is the extent of #Shakdvipa? Who is the king and the god to be worshipped? 5/20/24-28
8 #How much is Pushkar Island? Who is the king and the worshiped god? 5/20/29-33
9 # What is Lokalok Mountain like?
5/20/36-42
10 Who is the center of the universe and what is the meaning of the word Martanda?
5/20/43-44
https://wn.com/5_20_भागवत_मूलपाठ_मार्तण्ड_किसका_नाम_है
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#adhyaya 20
।।श्री हरि:।।
श्रीमद् भागवत महापुराणम्
स्कन्ध 5 अध्याय 20
पंचम: स्कंध: अथ विंश: अध्याय:।
अन्य छ:.द्वीपों तथा लोकालोक पर्वत का वर्णन ।
प्रश्न
१ #जंबूद्वीप कितना बड़ा है किस समुद्र से घिरा हुआ है ? ५/२०/२
२ #प्लक्षद्वीप के राजा कौन हैं तथा उसकी क्या विशेषता है ?
५/२०/२-७
३ प्लक्षद्वीप के निवासी भगवान् #सूर्य की क्या स्तुति करते हैं ?
५/२०/५
४ #शाल्मली द्वीप कैसा है तथा वहाँ के निवासी चन्द्रदेव की क्या स्तुति करते हैं ? ५/२०/८-१२
५ #कुशद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं? ५/२०/१३-१७
६ #क्रौंचद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं? ५/२०/१८-२३
७ #शाकद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं? ५/२०/२४-२८
८ #पुष्करद्वीप का कितना विस्तार है? राजा और उपास्य देव कौन हैं ? ५/२०/२९-३३
९ # लोकालोक पर्वत कैसा है ?
५/२०/३६-४२
१० ब्रह्मांड का केंद्र कौन है और मार्तण्ड शब्द का क्या अर्थ है ?
५/२०/४३-४४
।।Sri Hari:।।
Srimad Bhagavatam Mahapuranam
Skanda 5 Chapter
The fifth Skanda the twentieth chapter.
Description of the other six.islands and the Lokaloka mountain.
question
1 #How big is Jambudvipa and it is surrounded by which sea? 5/20/2
2 #Who is the king of Plakshadweep and what are its characteristics?
5/20/2-7
3 What do the inhabitants of Plakshadweep praise Lord #Sun?
5/20/5
4 #What is the island of Shalmali like and what do the inhabitants praise the moon god? 5/20/8-12
5 #How much is the extent of Kushdvipa? Who is the king and the god to be worshipped? 5/20/13-1
6 #How much is the island of Crouch? Who is the king and the god to be worshipped? 5/20/18-23
7 How much is the extent of #Shakdvipa? Who is the king and the god to be worshipped? 5/20/24-28
8 #How much is Pushkar Island? Who is the king and the worshiped god? 5/20/29-33
9 # What is Lokalok Mountain like?
5/20/36-42
10 Who is the center of the universe and what is the meaning of the word Martanda?
5/20/43-44
- published: 14 Aug 2022
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