माउज़र पिस्तौल (अंग्रेजी: Mauser C96) मूल रूप से जर्मनी में बनी एक अर्द्ध स्वचालित पिस्तौल है। इस पिस्तौल का डिजाइन जर्मनी निवासी दो माउज़र बन्धुओं ने सन् 1895 में तैयार किया था। बाद में 1896 में जर्मनी की ही एक शस्त्र निर्माता कम्पनी माउज़र ने इसे माउज़र सी-96 के नाम से बनाना शूरू किया। 1896 से 1937 तक इसका निर्माण जर्मनी में हुआ। 20वीं शताब्दी में इसकी नकल करके स्पेन और चीन में भी माउज़र पिस्तौलें बनीं।
इसकी मैगज़ीन ट्रेगर के आगे लगती थी जबकि सामान्यतया सभी पिस्तौलों में मैगज़ीन ट्रेगर के पीछे और बट के अन्दर होती है। इस पिस्तौल का एक अन्य मॉडल लकड़ी के कुन्दे के साथ सन 1916 में बनाया गया। इसमें बट के साथ लकड़ी का बड़ा कुन्दा अलग से जोड़कर किसी रायफल या बन्दूक की तरह भी प्रयोग किया जा सकता था। विस्तार से पढ़ें...
लगभग 30 करोड़ (US$6.18 मिलियन) के बजट में बनी, बर्फी! विश्व स्तर पर 14 सितम्बर 2012 को व्यापक समीक्षकों की प्रशंसा के साथ प्रदर्शित हुई। समीक्षकों ने अभिनय, निर्देशन, पटकथा, छायांकन, संगीत और शारीरिक रूप से विकलांग व्यक्तियों के सकारात्मक चित्रण की प्रशंसा की। फ़िल्म को बॉक्स-ऑफिस पर बड़ी सफ़लता प्राप्त हुई, परिणामस्वरूप यह भारत और विदेशों में 2012 की उच्चतम अर्जक बॉलीवुड फ़िल्मों की श्रेणी में शामिल हुई तथा तीन सप्ताह पश्चात बॉक्स ऑफिस इंडिया द्वारा इसे "सूपर हिट" (उत्तम सफलता) घोषित कर दिया गया। दुनिया भर में फ़िल्म ने रु.. 175 करोड़ (US$ 36.05 मिलियन) अर्जित किए। विस्तार से पढ़ें...
मैग्नेशियम एक रासायनिक तत्त्व है, जिसका चिह्न है Mg, परमाणु संख्या १२ एवं सामान्य ऑक्सीडेशन संख्या +२ है। है। यह कैल्शियम और बेरियम की तरह एक एल्केलाइन अर्थ धातु है एवं पृथ्वी पर आठवाँ बहुल उपलब्ध तत्त्व है तथा भार के अनुपात में २% है, और पूरे ब्रह्माण्ड में नौंवा बहुल तत्त्व है। इसके बाहुल्य का संबंध ये तथ्य है, कि ये सुपरनोवा तारों में तीन हीलियम नाभिकों के कार्बन में शृंखलागत तरीके से जुड़ने पर मैग्नेशियम का निर्माण होता है। मैग्नेशियम आयन की जल में उच्च घुलनशीलता इसे सागर के जल में तीसरा बहुल घुला तत्त्व बनाती है। मैग्नीशियम सभी जीव जंतुओं के साथ मनुष्य के लिए भी उपयोगी तत्त्व है। यह मानव शरीर में पाए जाने वाले पांच प्रमुख रासायनिक तत्वों में से एक है। मानव शरीर में उपस्थित ५०% मैग्नीशियम अस्थियों और हड्डियों में होता है जबकि शेष भाग शरीर में हाने वाली जैविक कियाओं में सहयोगी रहता है। विस्तार में...
वसा अर्थात चिकनाई शरीर को क्रियाशील बनाए रखने मे सहयोग करती है। वसा शरीर के लिए उपयोगी है, किंतु इसकी अधिकता हानिकारक भी हो सकती है। यह मांस तथा वनस्पति समूह दोनो प्रकार से प्राप्त होती है। इससे शरीर को दैनिक कार्यो के लिए शक्ति प्राप्त होती है। इसको शक्तिदायक ईंधन भी कहा जाता है। एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए १०० ग्राम चिकनाई का प्रयोग करना अति आवश्यक माना जाता है। इसको पचाने में शरीर को कफ़ी समय लगता है। यह शरीर मे प्रोटीन की आवश्यकता को कम करने के लिए आवश्यक होती है। वसा का शरीर मे अत्यधिक मात्रा मे बढ जाना उचित नही होता है। यह संतुलित आहार द्वारा आवश्यक मात्रा मे ही शरीर को उपलब्ध कराई जानी चाहिए। अधिक मात्रा जानलेवा भी हो सकती है, यह ध्यान योग्य है। यह आमाशय की गतिशीलता मे कमी ला देती है तथा भूख कम कर देती है। इससे आमाशय की वृद्धि होती है। विस्तार में...